झालावाड़ हादसे पर डोटासरा ने मारी पलटी, वीडिया में देखें भाजपा सरकार को कैसे कर रहे टारगेट
झालावाड़ जिले के एक सरकारी स्कूल में हुई दर्दनाक घटना, जिसमें कमरे की छत गिरने से सात मासूम बच्चों की मौत हो गई, ने पूरे राजस्थान को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना को लेकर प्रदेश में सियासत भी तेज हो गई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने एक ओर जहां अब इस मुद्दे पर राजनीति न करने और जवाबदेही तय करने की बात कही है, वहीं ठीक एक दिन पहले उन्होंने इस घटना को “हत्या” बताते हुए भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोला था।
हादसा या लापरवाही?
घटना 25 जुलाई को उस समय हुई जब स्कूल की पुरानी इमारत में बच्चे पढ़ाई कर रहे थे और अचानक कमरे की छत गिर पड़ी। इस हादसे में सात बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन, बल्कि राज्य के बुनियादी ढांचे की पोल खोलती है।
डोटासरा ने 25 जुलाई को सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर एक तीखी टिप्पणी करते हुए लिखा था, "ये सिर्फ हादसा नहीं, हत्या है! भाजपा सरकार के कॉलेप्स सिस्टम की आपराधिक लापरवाही का नतीजा है।" इस बयान के बाद सियासी हलकों में तीखी बहस शुरू हो गई। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।
एक दिन बाद बदली भाषा
हालांकि, 26 जुलाई को डोटासरा का सुर कुछ नरम नजर आया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “यह वक्त राजनीति करने का नहीं है। हमें बच्चों की मौत पर गहरा दुख है। यह समय जवाबदेही तय करने और पीड़ित परिवारों की मदद करने का है।” डोटासरा ने आगे अपील की कि दोषी अधिकारियों और सिस्टम में मौजूद खामियों की तुरंत जांच कर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
सियासी विरोधाभास पर उठे सवाल
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि डोटासरा के बयान में आया यह बदलाव साफ दर्शाता है कि पार्टी अब इस मसले पर संतुलित रुख अपनाना चाहती है। हालांकि विरोधी दल इसे “दोहरा चेहरा” करार दे रहे हैं। भाजपा प्रवक्ताओं ने डोटासरा के दोनों बयानों को लेकर सवाल उठाए और पूछा कि क्या कांग्रेस इस मुद्दे पर सिर्फ बयानबाज़ी कर रही है या वास्तव में बच्चों की मौत को लेकर संवेदनशील है?
स्थानीय लोगों में गुस्सा, कार्रवाई की मांग
इस बीच झालावाड़ में पीड़ित परिवारों और स्थानीय लोगों का गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ है। वे दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई और स्कूल भवनों की तत्काल जांच की मांग कर रहे हैं। शिक्षा विभाग ने पूरे जिले के सरकारी स्कूलों की इमारतों की जांच के आदेश दिए हैं।
