जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर डोटासरा का हमला बोले - ' BJP कर रही यूज एंड थ्रो की राजनीति', लगाए कई गंभीर आरोप
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे से देश की राजनीति में भूचाल आ गया है। इस घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है, वहीं इस्तीफे को लेकर बड़े नेताओं के बयान भी सामने आ रहे हैं। खासकर, कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी तेज हो गई है। राजस्थान में कांग्रेस नेता जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को किसान समुदाय का अपमान बता रहे हैं।
डोटासरा का भाजपा पर तंज
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने धनखड़ के इस्तीफे को लेकर भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने इसे किसान समुदाय के सम्मान से जोड़ते हुए कहा कि भाजपा में किसानों और उनके बेटों के लिए कोई जगह नहीं है। डोटासरा ने कहा कि भाजपा में केवल 'इस्तेमाल करो और फेंको' की नीति चलती है। धनखड़ साहब जैसे लोग, जो अपनी बात स्पष्ट रूप से रखते हैं, आलाकमान को बर्दाश्त नहीं होते।उन्होंने किसी का नाम लिए बिना भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का उदाहरण दिया और कहा कि राजस्थान में भी ऐसे नेताओं को काम करवाने के बाद हाशिए पर डाल दिया गया। डोटासरा ने धनखड़ के उस बयान का ज़िक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि विपक्ष को दुश्मन नहीं समझना चाहिए, बल्कि उसका सम्मान करना चाहिए।
डोटासरा ने इसे धनखड़ की आत्मा की आवाज़ बताया और कहा कि इस बयान ने भाजपा आलाकमान को बेचैन कर दिया, जिसका नतीजा उनका इस्तीफ़ा है। उन्होंने कहा कि यह कोई सामान्य स्वास्थ्य बुलेटिन नहीं है कि धनखड़ साहब कुर्सी पर नहीं बैठ सकते। यह उनकी पीड़ा है, जो शालीनता के साथ उनके इस्तीफ़े में झलकती है।डोटासरा ने दावा किया कि धनखड़ का इस्तीफ़ा भाजपा की उस सोच को उजागर करता है, जो विपक्ष और संविधान का सम्मान बर्दाश्त नहीं करती। उन्होंने कहा कि अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनने वाले किसी भी नेता को भाजपा में जगह नहीं मिलती। धीरे-धीरे सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने इसे लोकतंत्र और संविधान के लिए ख़तरा बताते हुए कहा कि यही 'नई भाजपा' का डरावना चेहरा है।
राजनीतिक बदलाव की अटकलें तेज़
धनखड़ के इस्तीफ़े के बाद, भाजपा की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे राजनीतिक अटकलें और तेज़ हो गई हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना राजस्थान की राजनीति में बदलाव का संकेत हो सकती है। जगदीप धनखड़ जाट समुदाय से आते हैं और राजस्थान में एक प्रभावशाली चेहरा हैं। उनके इस्तीफे से जाट और किसान समुदाय में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ सकती है, जो आगामी नगर निकाय और पंचायती राज चुनावों में पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
यह कोई मामूली घटना नहीं है - गहलोत
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस मुद्दे पर गंभीर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह कोई मामूली घटना नहीं है और भाजपा-आरएसएस के इस कदम के पीछे कुछ बड़ा हो सकता है, जिसे देश से छिपाया जा रहा है। गहलोत ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री को धनखड़ का इस्तीफा वापस लेने के लिए प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह इस्तीफा चौंकाने वाला है। धनखड़ जैसी शख्सियत को इस तरह से हटाया जाना कई सवाल खड़े करता है।
