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क्या आप जानते हैं खाटू श्याम मंदिर का रहस्य? वीडियो में जानिए उस रहस्यमयी जगह के बारे में जहां गिरा था बर्बरीक का सिर

क्या आप जानते हैं खाटू श्याम मंदिर का रहस्य? वीडियो में जानिए उस रहस्यमयी जगह के बारे में जहां गिरा था बर्बरीक का सिर
 
क्या आप जानते हैं खाटू श्याम मंदिर का रहस्य? वीडियो में जानिए उस रहस्यमयी जगह के बारे में जहां गिरा था बर्बरीक का सिर

भारत में लाखों मंदिर हैं। हर मंदिर के निर्माण के पीछे कोई न कोई रहस्य छिपा होता है। ऐसा ही एक रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिर है खाटू श्याम मंदिर। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। आज लाखों लोग न सिर्फ खाटू बाबा में आस्था रखते हैं, बल्कि हर मौके पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि यहां आकर भगवान खाटू के दर्शन करने वालों के जीवन की हर समस्या का समाधान हो जाता है। आपको बता दें कि बाबा को हारे का सहारा कहा जाता है। इसलिए लोग यहां अपनी समस्याएं लेकर आते हैं। खाटू श्याम बाबा मंदिर से जुड़ी कई बातों के बारे में आपने सुना होगा। लेकिन आज हम आपको खाटू श्याम मंदिर से जुड़ी रोचक और रहस्यमयी बातों के बारे में बताते हैं।


श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार हैं खाटू बाबा
आज पूरा भारत उन्हें खाटू श्याम बाबा के नाम से पूजता है, दरअसल वे श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार हैं। इसलिए उनका जन्म भी कार्तिक शुक्ल देवउठनी ग्यारस के दिन मनाया जाता है। इस दिन परिसर में विशाल मेला लगता है, जो ग्यारस मेले के नाम से प्रसिद्ध है। 

खाटू श्याम बाबा कौन हैं?
दरअसल, द्वापर या महाभारत काल में खाटू श्याम बाबा बर्बरीक के नाम से जाने जाते थे। वे तीन बाणों से संपन्न एक शक्तिशाली योद्धा थे। वे पांडव पुत्र भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक की माता का नाम हिडिम्बा था।

बर्बरीक को वरदान मिला था
कहते हैं कि महाभारत के दौरान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से सिर का दान मांगा था। बर्बरीक ने बिना कुछ सोचे-समझे अपना सिर उन्हें दान कर दिया था। तब श्री कृष्ण प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में तुम मेरे नाम से जाने जाओगे। जो भी भक्त हारकर तुम्हारे पास आएगा, तुम उसका सहारा बनोगे। इसी कारण उन्हें हारे का सहारा कहा जाता है।

खाटू में यहीं मिला था बर्बरीक का सिर
मान्यता के अनुसार, महाभारत युद्ध समाप्त होते ही श्री कृष्ण ने बर्बरीक का सिर रूपावती नदी में फेंक दिया था। जिसके बाद इसे खाटू गांव की भूमि में दफना दिया गया था। एक दिन जब एक गाय वहां से गुजरी तो उसके थन से अपने आप ही दूध बहने लगा। यह देखकर गांव वाले हैरान हो गए और यह खबर खाटू के राजा तक पहुंचाई गई।

श्री कृष्ण ने राजा को सपने में आदेश दिया
जब खाटू के राजा यह देखने के लिए उस स्थान पर पहुंचे तो उन्हें याद आया कि कुछ दिन पहले उन्हें सोते समय ऐसा ही सपना आया था। सपने में भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें आदेश दिया था कि एक जगह जमीन में एक सिर दबा हुआ है, उस सिर को उस जमीन से निकालकर खाटू गांव में ही स्थापित करना है और वहां एक मंदिर बनवाना है। जिसके बाद खाटू के राजा ने उस जगह की खुदाई करने का आदेश दिया और वहां जमीन से एक सिर निकला। सिर निकलने के बाद राजा ने उस सिर को खाटू में ही एक स्थान पर स्थापित किया और मंदिर बनवाया। आज वह मंदिर बाबा खाटू श्याम के नाम से पूरे भारत में प्रसिद्ध है।