-सिगरेट पर बैन के बावजूद धड़ल्ले से हो रही बिक्री! हाईकोर्ट ने डीजीपी से मांगा जवाब - क्या है प्रभावी उपाय ?

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि ई-सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री पर प्रभावी अंकुश लगाया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि युवाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली ई-सिगरेट ऑनलाइन न बिकें। साथ ही कोर्ट ने डीजीपी को 7 जुलाई तक हलफनामा पेश कर यह बताने को कहा है कि ई-सिगरेट की बिक्री रोकने के लिए क्या प्रभावी तंत्र स्थापित किया गया है। सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस मुकेश राजपुरोहित की खंडपीठ ने प्रियांशा गुप्ता की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए। कोर्ट ने पुलिस मुख्यालय के प्रभारी अधिकारी को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से या वीसी के जरिए पेश होने को भी कहा है।
कोर्ट ने कहा कि हमने पिछली सुनवाई पर पुलिस मुख्यालय के मामले के प्रभारी अधिकारी का हलफनामा मांगा था, लेकिन उनकी जगह पुलिस कमिश्नरेट के एक अधिकारी का हलफनामा पेश किया गया है। ऐसे में यह कोर्ट के निर्देशानुसार सही नहीं है और अपने आप में गंभीर मामला है। इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। साथ ही डीजीपी को व्यक्तिगत रूप से भी बुलाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सरकार के जवाब से पता चलता है कि ई-सिगरेट से जुड़ी 8 वेबसाइट ब्लॉक कर दी गई हैं और 4 साइट्स को अनब्लॉक कर दिया गया है। ई-सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री पर प्रभावी और सख्त रोक लगनी चाहिए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट में पेश होकर कहा कि विभिन्न वेबसाइट के जरिए ई-सिगरेट की खुलेआम ऑनलाइन बिक्री हो रही है। जिस पर रोक लगाने की जरूरत है।
राज्य सरकार की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि इसकी बिक्री रोकने के लिए कोई प्रभावी निवारक तंत्र स्थापित नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार के जवाब के मुताबिक छापेमारी के दौरान पुलिस को छह जगहों पर ई-सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री और खपत मिली। याचिकाकर्ता ने कहा कि वेबसाइट 24 घंटे के अंदर ई-सिगरेट पहुंचाने का दावा करती हैं, जिससे साबित होता है कि स्थानीय स्तर पर इनका गोदाम है। जबकि इनकी ऑनलाइन बिक्री रोकने की सख्त जरूरत है। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने डीजीपी को मामले में हलफनामा पेश कर ई-सिगरेट की बिक्री रोकने के लिए बनाए गए प्रभावी तंत्र की जानकारी देने को कहा है।