झालावाड़ में नरेश मीणा के धरने पर बवाल! पुलिस लाठीचार्ज और ग्रामीणों के पथराव ने बढ़ाया तनाव, वायरल वीडियो में देखे पूरी घटना
राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गाँव में शुक्रवार सुबह एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात मासूम बच्चों की मौत हो गई और 21 घायल हो गए। हादसे के बाद पूरे इलाके में मातम पसरा है, लेकिन इसके साथ ही लोगों का गुस्सा अब सड़कों पर फूट पड़ा है। बुराड़ी चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव किया, जिसमें कुछ जवान घायल हो गए। भीड़ ने पुलिस वाहनों में भी तोड़फोड़ की। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
इससे पहले, कांग्रेस विधायक नरेश मीणा अस्पताल पहुँचे और पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। उन्होंने व्यवस्था को 'भ्रष्ट और चोर' करार दिया और कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण बच्चों की मौत हुई है। पुलिस ने मौके पर पहुँचकर नरेश मीणा और उनके समर्थकों को हटाने की कोशिश की, इस दौरान बल प्रयोग भी किया गया और उन्हें हिरासत में ले लिया गया।नरेश मीणा ने ऐलान किया कि वह वसुंधरा राजे और दुष्यंत सिंह को झालावाड़-बारां में घुसने नहीं देंगे। पुलिस कार्रवाई से पहले, वह एक करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे।
देर शाम पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी प्रभावित बच्चों के परिजनों से मिलने पहुँचीं। उन्होंने कहा, "अगर स्कूल की पहचान पहले कर ली गई होती और उसे किसी दूसरी इमारत में स्थानांतरित कर दिया गया होता, तो यह हादसा टल सकता था।" उन्होंने सरकार से माँग की कि राज्य के सभी स्कूलों का तुरंत निरीक्षण किया जाए और बच्चों को जर्जर इमारतों में स्थानांतरित किया जाए। उन्होंने कहा कि इस तरह की लापरवाही किसी और मासूम की जान न ले।
मौके पर मौजूद मीडिया से बात करते हुए राजे ने कहा, "बाहर के लोगों को राजनीति करने नहीं आना चाहिए। यह राजनीति का नहीं, बल्कि संवेदना का समय है। झालावाड़ हमारा परिवार है और इस समय उसे सहारे की ज़रूरत है।"इस पूरे मामले ने शिक्षा व्यवस्था और सरकारी ढाँचे पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। ग्रामीणों का दावा है कि स्कूल की इमारत कई सालों से जर्जर थी और कई बार शिकायत की गई, लेकिन प्रशासन ने उनकी एक न सुनी। हादसे में एक ही परिवार के दो बच्चों - कान्हा और मीना - की भी मौत हो गई है, जो भाई-बहन थे।
हादसे के बाद पूरे गाँव में तनाव का माहौल है। लोग मांग कर रहे हैं कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और मृतक बच्चों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाए। जिला प्रशासन ने अब पूरे प्रखंड के स्कूल भवनों के निरीक्षण के आदेश दिए हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या सात मासूम बच्चों की मौत के बाद अब सिस्टम जागेगा?
