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जयपुर नगर निगम में जमीन घोटाले को लेकर हो रहा बवाल, फुटेज में देखें मेयर कुसुम यादव के खिलाफ कांग्रेस पार्षदों ने खोला मोर्चा

जयपुर नगर निगम में जमीन घोटाले को लेकर हो रहा बवाल, फुटेज में देखें मेयर कुसुम यादव के खिलाफ कांग्रेस पार्षदों ने खोला मोर्चा
 
जयपुर नगर निगम में जमीन घोटाले को लेकर हो रहा बवाल, फुटेज में देखें मेयर कुसुम यादव के खिलाफ कांग्रेस पार्षदों ने खोला मोर्चा

राजधानी जयपुर के नगर निगम हेरिटेज में सरकारी जमीन पर गलत तरीके से पट्टे जारी करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। स्वायत्त शासन विभाग द्वारा नगर निगम के चार अधिकारियों को सस्पेंड किए जाने के बाद अब यह विवाद राजनीतिक रंग लेने लगा है। कांग्रेसी पार्षदों ने इस पूरे मामले को लेकर कार्यवाहक मेयर कुसुम यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

पार्षदों का आरोप है कि यह घोटाला केवल अधिकारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें निगम के शीर्ष नेतृत्व की भी भूमिका रही है। कांग्रेस पार्षदों का कहना है कि यदि बिना राजनीतिक संरक्षण के ये गलत पट्टे जारी किए गए हैं, तो फिर कार्यवाहक मेयर को अब तक इस पूरे प्रकरण की जानकारी क्यों नहीं थी? और अगर जानकारी थी, तो उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की?

चार अधिकारी निलंबित, जांच जारी

स्वायत्त शासन विभाग ने इस मामले में नगर निगम की लैंड शाखा के तत्कालीन उपयुक्त हंसा मीणा, कनिष्ठ अभियंता, कनिष्ठ सहायक सहित चार अधिकारियों को सस्पेंड किया है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने नियमों को दरकिनार कर कई सरकारी भूखंडों के गलत तरीके से पट्टे जारी किए। इस घोटाले का खुलासा होते ही विभाग ने जांच शुरू की और त्वरित कार्रवाई करते हुए निलंबन का आदेश जारी किया।

कांग्रेसी पार्षदों का आरोप – "मेयर भी जिम्मेदार"

नगर निगम में विपक्ष में बैठे कांग्रेसी पार्षदों का कहना है कि सिर्फ अधिकारियों को सस्पेंड करके सरकार मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने मांग की है कि कार्यवाहक मेयर कुसुम यादव को भी इस मामले में जवाबदेह ठहराया जाए। पार्षदों ने कहा कि मेयर की निगरानी में ही निगम का प्रशासनिक कार्य संचालित होता है, ऐसे में यह मानना मुश्किल है कि उन्हें इस घोटाले की जानकारी नहीं थी।

पार्षदों ने दिया आंदोलन का संकेत

विवाद को और हवा देते हुए कांग्रेस पार्षदों ने चेतावनी दी है कि यदि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच नहीं कराई गई तथा राजनीतिक जिम्मेदारी तय नहीं की गई, तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने की भी योजना बनाई है।

प्रशासनिक सख्ती और जांच की दिशा

इस मामले में नगर निगम के भीतर अब अफसरों और कर्मचारियों में भी हलचल है। स्वायत्त शासन विभाग के सूत्रों के अनुसार, अभी और भी कई स्तरों पर जांच की जा रही है, और हो सकता है कि आने वाले दिनों में और नाम सामने आएं। यदि यह साबित होता है कि जमीन घोटाले में निगम के उच्च अधिकारी या जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं, तो उन पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।