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महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती पर एक मच पर दिखे कांग्रेस-बीजेपी, वीडियो में देखें समाज सुधारक के योगदान को किया याद

महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती पर एक मच पर दिखे कांग्रेस-बीजेपी, वीडियो में देखें समाज सुधारक के योगदान को किया याद
 
महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती पर एक मच पर दिखे कांग्रेस-बीजेपी, वीडियो में देखें समाज सुधारक के योगदान को किया याद

सामाजिक न्याय और समानता के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फुले की 198वीं जयंती के अवसर पर राजधानी जयपुर में गुरुवार को श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन बाइस गोदाम सर्किल, सहकार मार्ग स्थित महात्मा फुले स्मारक स्थल पर किया गया, जहां उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया गया।

इस मौके पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, और विभिन्न राजनीतिक दलों के कई वरिष्ठ नेता एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस सहित कई सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया और महात्मा फुले के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने महात्मा फुले की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया और कहा, "महात्मा फुले ने भारत में सामाजिक सुधार की नींव रखी। उन्होंने महिलाओं और दलितों के लिए शिक्षा के अधिकार की लड़ाई लड़ी। उनके विचार आज भी हमें प्रेरणा देते हैं।"

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी फुले के विचारों को आज के समय में प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा, "महात्मा फुले ने जातिवाद और छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया। उनका जीवन हम सभी के लिए एक मार्गदर्शक है।"

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने महात्मा फुले द्वारा शुरू किए गए पहले महिला विद्यालय, विधवा पुनर्विवाह और समाज में समता स्थापित करने के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के योगदान को भी याद किया, जिन्होंने मिलकर भारत में शिक्षा और सामाजिक क्रांति की मशाल जलाई।

सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षकों और छात्रों ने भी इस मौके पर हिस्सा लिया और फुले के जीवन पर आधारित कविताएं, भाषण और गीत प्रस्तुत किए। आयोजन स्थल को फूलों और बैनरों से सजाया गया था, जिन पर महात्मा फुले के प्रेरणादायक विचार अंकित थे।

इस आयोजन ने न सिर्फ उनके विचारों को जनमानस तक पहुंचाने का कार्य किया, बल्कि नई पीढ़ी को उनके संघर्ष और योगदान से परिचित कराने का भी अवसर प्रदान किया। जयपुर में इस प्रकार का आयोजन सामाजिक समरसता और इतिहास से जुड़ने की भावना को भी प्रबल करता है।

महात्मा फुले की जयंती पर इस भव्य आयोजन ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को मजबूत करने के लिए आज भी उनके विचारों का अनुकरण करना अत्यंत आवश्यक है।