Choti Diwali नरक चतुर्दशी को दीपक जलाने से बंद होते हैं नरक के द्वार, वीडियो में जानें इसके पीछे की मान्यताएँ
जयपुर न्यूज़ डेस्क, दीपावली से एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी को यमदेव का दीपक जलाने से नरक के दरवाजे बंद हो जाते हैं और अकाल मौत के भय से मुक्ति मिलती है। वैदिक पंचाग के मुताबिक कार्तिक मास की चतुर्दशी की शुरुआत 1 बजकर 15 मिनट से दोपहर में 30 अक्टूबर को होगी। जिसका समापन 3 बजकर 52 मिनट पर 31 अक्टूबर को होगा।
उदया तिथि के अनुसार 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। नरक चतुर्दशी के दिन सूर्यास्त के बाद यम का दीप प्रज्ज्वलित किया जाता है। जिसका शुभ मुहूर्त सांय 5.36 मिनट से 6.05 मिनट तक है। हिन्दू धर्म की मान्यता है कि नरक के राजा यमराज हैं। नरक के तीन दरवाजे काम, क्रोध और लोभ माने जाते हैं। इन तीन दुर्गों के कारण ही जीव का पतन तय है। गीता में भी भगवान योगीराज श्रीकृष्ण ने इन्हें नरक का द्वार बताया है।गृहणी सुमन गर्ग बताती हैं कि मानव के जीवन में काम क्रोध और लोभ के आने से ही नकारात्मक विचारों का उदय होता है, इसके लिए हमें सदैव हरि स्मरण कर सत्संग का प्रतिदिन लाभ लेना चाहिए ताकि हम इस भव बंधन से मुक्त हो सकें।
सात्विक ही भोजन ग्रहण करना चाहिए
सफाई कर्मी गीता वाल्मीकि कहती हैं कि नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली, रूप चौदस, भूत चतुर्दशी व नरक निवारण चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन मात्र सात्विक ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। साथ ही इस दिन घर के बाहर घर का मुखिया एक बड़ा चौमुखी दीपक जलाकर रखने से धन धान्य की वृद्धि होती है।
पानी में गंगाजल मिलाकर करें स्नान
गृहणी अंजना अग्रवाल कहती हैं कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व सरसों के तेल की मालिश, हल्दी और चंदन का उबटन लगाने के बाद ही हर युवती को स्नान करना चाहिए और पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करने से मां लक्ष्मी समस्त पापों का निवारण कर देती है।