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Jaipur दिन में तेज धूप और रात में ठंड, मौसम में उतारा-चढ़ाव

 
Jaipur दिन में तेज धूप और रात में ठंड, मौसम में उतारा-चढ़ाव 

जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर प्रदेश में पारे में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है। ठंडी हवाओं के कारण रविवार को एक बार फिर ठिठुरन बढ़ गई। सुबह-शाम के समय हल्की गलन भी महसूस की गई। अधिकांश शहरों में इस कारण रात के पारे में गिरावट दर्ज की गई। वहीं कई शहरों में दिन का पारा बढ़ गया। इस कारण दिन और रात के पारे में कई शहरों में बहुत अंतर हो गया। सीकर में दिन-रात के पारे में 21.5 डिग्री सेल्सियस का अंतर रहा, जो प्रदेश में सर्वाधिक है। सीकर में न्यूनतम पारा 1.5 डिग्री तो दिन में 23 डिग्री रहा। राजधानी जयपुर में भी रात का पारे में गिरावट दर्ज की गई। यहां रात का तापमान 0.7 लुढक कर 9.6 डिग्री पर आ गया। जयपुर में दिन का तापमान 24.4 डिग्री रहा। मौैसम विभाग का कहना है कि आगामी सप्ताह में मौसम शुष्क बना रहेगा। इसके साथ ही 13-14 फरवरी काे कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की संभावना है। इसके असर से बादल छाए रहेंगे लेकिन बारिश की संभावना कम है।

अल नीनो कमजोर पड़ रहा, अगस्त तक ला नीना सक्रिय होगा, इस बार गर्मी कम पड़ेगी, बारिश अच्छी होगी अलनीनो कमजोर पड़ने लगा है। जून तक इसका प्रभाव खत्म हो जाएगा। इससे मानसून में समय पर व अच्छी बारिश की उम्मीद बढ़ गई है। दो वैश्विक मौसम एजेंसियों के अनुसार अगस्त तक ला नीना सक्रिय होगा। बीते साल अल नीनो के चलते कम बारिश हुई, अत्यधिक गर्मी पड़ी थी। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बीते साल की तुलना में इस वर्ष गर्मी कम पड़ेगी। यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि 79% संभावना है कि अल नीनो अप्रैल-जून तक खत्म हो जाएगा। जून-अगस्त में ला नीना विकसित होने की संभावना 55% है। यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने भी पुष्टि की है कि अल नीनो कमजोर पड़ने लगा है।

भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ. डीएस पई कहते हैं कि सभी मॉडल अल नीनो के जाने का संकेत दे रहे हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने भी जून-जुलाई तक ला नीना विकसित होने की उम्मीद जताई। हालांकि स्थिति बसंत के बाद स्पष्ट होगी। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कौल ने भी इससे सहमति जताई। दक्षिण-पश्चिम मानसून में देश की सालाना बारिश की 70% बारिश होती है। यह कृषि क्षेत्र के लिए अहम है, जो जीडीपी में 14% का योगदान देता है।