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अरावली की नई परिभाषा को लेकर मेवाड़ में खौल रहा खून, लोगों में बढने लगा गुस्से का उबाल, उदयपुर कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन

अरावली की नई परिभाषा को लेकर मेवाड़ में खौल रहा खून, लोगों में बढने लगा गुस्से का उबाल, उदयपुर कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन
 
अरावली की नई परिभाषा को लेकर मेवाड़ में खौल रहा खून, लोगों में बढने लगा गुस्से का उबाल, उदयपुर कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन

सुप्रीम कोर्ट से अरावली रेंज की नई परिभाषा को मंज़ूरी मिलने के बाद मेवाड़ में गुस्सा है। हर जगह विरोध हो रहा है। कांग्रेस एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन सेल ने अरावली रेंज की नई परिभाषा के विरोध में शुक्रवार दोपहर उदयपुर कलेक्ट्रेट पर धरना दिया।

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि नए स्टैंडर्ड के तहत, सिर्फ़ वही लैंडफ़ॉर्म अरावली रेंज मानी जाएगी जो आस-पास की ज़मीन से 100 मीटर या उससे ज़्यादा ऊँची हो। इससे अरावली रेंज का 90 परसेंट से ज़्यादा हिस्सा प्रोटेक्शन से बाहर हो जाएगा, जिससे माइनिंग, रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज़ हो सकेंगी।

उन्होंने चेतावनी दी कि अरावली रेंज एक नेचुरल बैरियर है जो रेगिस्तान की रेत को रोकता है। इसके कमज़ोर होने से शहरों में धूल, पॉल्यूशन और सांस की बीमारियाँ बढ़ेंगी। इसका सीधा असर एनवायरनमेंट और इंसानी ज़िंदगी पर पड़ेगा। प्रदर्शन में शहर ज़िला अध्यक्ष फतेह सिंह राठौर, प्रदेश सचिव दिनेश श्रीमाली, अजय सिंह, धर्मेंद्र राजोरा, गौरव प्रताप सिंह, एनवायरनमेंट सेल ज़िला अध्यक्ष प्रतीक नागर और बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे।

TAC मेंबर ने भी जताई आपत्ति
TAC (ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल) के पूर्व मेंबर लक्ष्मी नारायण पंड्या ने साउथ राजस्थान की लाइफलाइन मानी जाने वाली अरावली रेंज को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अरावली रेंज सिर्फ पत्थरों का ढेर नहीं है, बल्कि पूरे इलाके की लाइफलाइन है। अगर इसे खत्म होने दिया गया तो इसका सीधा असर एनवायरनमेंट और इंसानी ज़िंदगी पर पड़ेगा। अरावली रेंज ने साउथ राजस्थान के करीब 15 जिलों में एनवायरनमेंट बचाने, कुदरती आफतों से बचाने और क्लाइमेट बैलेंस बनाए रखने में अहम रोल निभाया है।