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Jaipur प्लाज्मा चोरी मामले में ब्लड बैंक प्रभारी एपीओ, चीजों से छेड़छाड़ की गई

 
Jaipur प्लाज्मा चोरी मामले में ब्लड बैंक प्रभारी एपीओ, चीजों से छेड़छाड़ की गई

जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर के जेके लोन अस्पताल में प्लाज्मा चोरी मामले में सरकार ने ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. सत्येन्द्र चौधरी को एपीओ (पदस्थापन की प्रतीक्षा में) कर दिया है। जांच में ब्लड बैंक इंचार्ज की लापरवाही सामने आई है। स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि जेके लोन अस्पताल में लैब टेक्नीशियन द्वारा प्लाज्मा चोरी का मामला सामने आया था। सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए लैब टेक्नीशियन किशन सहाय कटारिया को निलंबित कर दिया था। एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।

शुभ्रा सिंह ने बताया- मामले की जांच के लिए तत्काल प्रभाव से एक कमेटी गठित की गई थी। कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया कि ब्लड बैंक के सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग नहीं पाई गई। सात कैमरों में से प्लाज्मा स्टोर रूम में लगे एक कैमरे के तार कटे हुए थे। अन्य उपकरणों से छेड़छाड़ होना पाया गया। इस संबंध में अस्पताल प्रशासन को सूचना भी नहीं दी गई। इन स्थितियों को संदेहास्पद माना गया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. सत्येन्द्र चौधरी को काम में उदासीनता और सुपरविजन में लापरवाही का दोषी मानते हुए राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से एपीओ कर दिया है। लैब टेक्नीशियन किशन सहाय कटारिया और डॉ. सत्येन्द्र चौधरी के विरूद्ध सीसीए नियम-16 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

क्या है मामला

आपको बता दें कि जेके लोन हॉस्पिटल में ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने 4 मई को लैब टेक्नीशियन कृष्णकांत कटारिया को प्लाज्मा चोरी के मामले में पकड़ा था। इस मामले का खुलासा हुआ तो मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही इस मामले की जांच शुरू करवा दी। जांच प्रभावित न हो इसे देखते हुए डॉ. सत्येंद्र सिंह को जेके लोन हॉस्पिटल से हटाकर एसएमएस हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में लगाया गया। इसके बाद लैब टेक्नीशियन कृष्ण कांत कटारिया को पद से निलंबित कर दिया था। सूत्रों के अनुसार जेके लोन हॉस्पिटल का लैब टेक्नीशियन कृष्ण कांत कटारिया पिछले लंबे वक्त से प्लाज्मा चुरा कर निजी कंपनियों को बेच रहा था। उसकी कार से करीब 110 यूनिट प्लाज्मा बरामद हुआ था। हालांकि जेके लोन हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई है और न ही कृष्णकांत के खिलाफ अब तक कोई शिकायत दर्ज करवाई गई है। बता दें कि प्लाज्मा बहुत मुश्किल से उपलब्ध होता है। आमतौर पर प्लाज्मा गंभीर बीमारियों के मरीज के काम में ही आता है। प्लाज्मा हमेशा डॉक्टरों की राय के बाद ही मरीज को चढ़ाया जाता है, ऐसे में इसकी उपलब्धता काफी कम होती है।