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'भील प्रदेश' की मांग पर बवाल भाजपा नेताओं का सांसद राजकुमार रोत पर हमला, फुटेज में देखें लगाया देशद्रोह का आरोप

'भील प्रदेश' की मांग पर बवाल भाजपा नेताओं का सांसद राजकुमार रोत पर हमला, फुटेज में देखें लगाया देशद्रोह का आरोप
 
'भील प्रदेश' की मांग पर बवाल भाजपा नेताओं का सांसद राजकुमार रोत पर हमला, फुटेज में देखें लगाया देशद्रोह का आरोप

'भील प्रदेश' की मांग को लेकर सियासत गर्मा गई है। बांसवाड़ा-डूंगरपुर से लोकसभा सांसद राजकुमार रोत द्वारा मंगलवार को सोशल मीडिया पर भील प्रदेश का नक्शा पोस्ट किए जाने के बाद विवाद गहरा गया है। अब भाजपा के ही जनजातीय नेता और मंत्री बाबूलाल खराड़ी और उदयपुर सांसद डॉक्टर मन्नालाल रावत ने राजकुमार रोत पर तीखा हमला बोला है।

बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि, "राजकुमार रोत पर अब राजद्रोह और देशद्रोह का ठप्पा लग गया है। वे देश की एकता और अखंडता को चुनौती दे रहे हैं।" वहीं मन्नालाल रावत ने कहा कि, "भील समाज को बरगलाने और भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। रोत की विचारधारा अलगाववादी है, जो स्वीकार्य नहीं हो सकती।"

भील प्रदेश का मुद्दा: क्या है विवाद?

मंगलवार को सांसद राजकुमार रोत ने अपने फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर 'भील प्रदेश' का एक नक्शा पोस्ट किया, जिसमें राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल जिलों को मिलाकर एक पृथक भील प्रदेश की परिकल्पना की गई थी। इस पोस्ट के साथ उन्होंने आदिवासी अस्मिता और अधिकारों की बात करते हुए स्वतंत्र पहचान की मांग का इशारा किया।

हालांकि यह पोस्ट कुछ घंटों बाद डिलीट कर दी गई, लेकिन तब तक सोशल मीडिया पर इसका स्क्रीनशॉट वायरल हो चुका था और राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं।

कटारा का नाम घसीटकर विवाद और गहराया

भाजपा नेताओं ने रोत पर हमला बोलते हुए उन्हें पिछले पेपर लीक मामलों से भी जोड़ दिया। बाबूलाल खराड़ी ने आरोप लगाया कि, "पेपर लीक में पकड़ा गया बाबूलाल कटारा इनका चेला है। यह पूरा नेटवर्क युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है और अब अलगाववाद को हवा देने की कोशिश की जा रही है।"

भाजपा में भीतरघात या वैचारिक मतभेद?

गौरतलब है कि राजकुमार रोत भील आदिवासी समाज से आते हैं और पूर्व में भी वे आदिवासियों की संवैधानिक पहचान, जल-जंगल-जमीन के अधिकार और स्वशासन की मांग उठाते रहे हैं। लेकिन इस बार मामला सीधे देश की अखंडता और संविधानिक ढांचे से जुड़ता दिख रहा है, जिससे भाजपा नेतृत्व असहज हो गया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद भाजपा के आंतरिक जनजातीय समीकरणों में दरार की ओर इशारा कर रहा है, खासकर ऐसे वक्त में जब पार्टी आदिवासी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है।

आगे क्या?

  • कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वामपंथी दल अभी इस मामले पर प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि विपक्ष इसे मुद्दा बना सकता है।

  • भाजपा नेतृत्व ने अब तक कोई औपचारिक अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की है, लेकिन दबाव बढ़ता नजर आ रहा है।

  • राजकुमार रोत की ओर से अभी तक कोई औपचारिक सफाई सामने नहीं आई है।