सिर्फ पानी की जरूरतों तक सीमित नहीं रहा बीसलपुर बांध, वीडियो में जानिए कैसे बन रहा है इको-टूरिज्म का उभरता केंद्र

राजस्थान को अगर पानी के संकट वाले प्रदेश के रूप में जाना जाता है, तो इस छवि को बदलने का सबसे बड़ा कारण है — बीसलपुर बांध। टोंक जिले में स्थित यह विशाल बांध लंबे समय से जयपुर, अजमेर, टोंक और आसपास के इलाकों की प्यास बुझाने और खेतों की सिंचाई का प्रमुख स्रोत रहा है। लेकिन अब यह सिर्फ एक जल परियोजना नहीं, बल्कि राजस्थान के पर्यटन मानचित्र पर एक नया आकर्षण बनकर उभरा है।बीसलपुर बांध अब केवल इंजीनियरिंग की सफलता की मिसाल नहीं, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और जल-आधारित पर्यटन गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है। हर साल बढ़ती संख्या में पर्यटक इस बांध के पास घूमने, फोटोग्राफी, और प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेने के लिए आने लगे हैं।
बीसलपुर बांध की भौगोलिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
बीसलपुर बांध की नींव 1985 में रखी गई थी और इसका निर्माण कार्य वर्ष 1999 में पूरा हुआ। यह बांध बनास नदी पर बना है और इसकी क्षमता लगभग 315 मीटर क्यूसेक है। यह जयपुर, टोंक, अजमेर, भीलवाड़ा और दौसा जैसे शहरों की पीने के पानी की जरूरतें पूरी करता है, और साथ ही साथ कई हजार हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई भी सुनिश्चित करता है।परंतु बीते कुछ वर्षों में, खासकर मानसून के समय जब बांध अपने पूरे जलस्तर पर होता है, तब इसके पर्यटन महत्व में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है।
प्राकृतिक सौंदर्य और जल पर्यटन की संभावना
बीसलपुर बांध का फैलाव और आसपास का हरियाली से घिरा वातावरण देखने में बेहद सुंदर है। बरसात के मौसम में जब बांध की दीवारों से पानी गिरता है, तो यह दृश्य किसी झरने की तरह प्रतीत होता है और इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं।
1. बोटिंग और वाटर स्पोर्ट्स की संभावनाएं
स्थानीय युवाओं और पर्यटन विभाग के प्रयासों से यहां बोटिंग और कश्ती जैसी गतिविधियां शुरू करने की योजना पर भी काम हो रहा है। आने वाले वर्षों में यह बांध वाटर एडवेंचर टूरिज्म का एक बड़ा केंद्र बन सकता है।
2. फोटोग्राफी और पिकनिक के लिए उपयुक्त स्थान
प्राकृतिक रोशनी, शांत जल, और खुले आसमान के नीचे फैली हुई यह झील फोटोग्राफरों के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है। कई परिवार और ग्रुप यहां वीकेंड पर पिकनिक मनाने के लिए आते हैं।
3. बर्ड वॉचिंग और जैव विविधता
मानसून और सर्दियों में कई प्रवासी पक्षी इस क्षेत्र में आते हैं, जिससे यह स्थान बर्ड वॉचर्स के लिए भी एक पसंदीदा जगह बनता जा रहा है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार पर असर
बीसलपुर बांध के इर्द-गिर्द पर्यटन बढ़ने से स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलने लगे हैं। छोटे स्तर पर चाय-नाश्ते की दुकानें, फोटोग्राफर, गाइड और नाविक जैसे कामों के जरिए ग्रामीणों को आर्थिक लाभ हो रहा है।यदि इसे और व्यवस्थित रूप से विकसित किया जाए तो यह इको-टूरिज्म का सफल उदाहरण बन सकता है।
सरकारी योजनाएं और संभावनाएं
राज्य सरकार और टूरिज्म विभाग द्वारा बीसलपुर बांध को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजनाएं प्रस्तावित की गई हैं। इनमें वॉच टावर, नाव विहार, कैफेटेरिया, ट्रैकिंग पथ और बर्ड वॉचिंग पॉइंट जैसी सुविधाओं का समावेश किया जा सकता है। अगर यह योजनाएं धरातल पर उतरीं, तो यह स्थल न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
प्राकृतिक जलस्रोत के प्रति जागरूकता
बीसलपुर बांध की खूबसूरती और उपयोगिता दोनों ही यह सिखाती हैं कि यदि जलस्रोतों को केवल उपयोग का माध्यम न मानकर संरक्षण और पर्यटन का हिस्सा बनाया जाए, तो उनका भविष्य ज्यादा सुरक्षित और लाभकारी हो सकता है। यहां पर्यटक आते हैं और साथ ही यह संदेश लेकर जाते हैं कि पानी बचाना, प्रकृति से जुड़ना और स्थानीय संस्कृति का सम्मान करना कितना जरूरी है।
कैसे पहुंचे बीसलपुर बांध?
निकटतम रेलवे स्टेशन: टोंक या देवली
निकटतम हवाई अड्डा: जयपुर (110 किमी)
सड़क मार्ग: जयपुर, अजमेर और भीलवाड़ा से सीधा संपर्क
निष्कर्ष: पर्यटन और पर्यावरण का संतुलन
बीसलपुर बांध अब केवल "पानी का टैंक" नहीं, बल्कि राजस्थान के टूरिज्म का नया चेहरा बन रहा है। यहां का वातावरण, सौंदर्य और जल जीवन सब मिलकर इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बना रहे हैं। यदि उचित प्रबंधन, प्रचार और निवेश किया जाए, तो यह स्थल ना सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि स्थानीय जीवन स्तर को भी ऊंचा करेगा।अतः बीसलपुर बांध एक उदाहरण है कि कैसे एक जलस्रोत, जब प्रकृति और पर्यटन के साथ संतुलन बनाकर उपयोग किया जाए, तो वह विकास और सौंदर्य दोनों का वाहक बन सकता है।