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जैसलमेर में बर्ड फ्लू से कुरजां पक्षियों की मौत हुई कन्फर्म, वीडियो में देखें इससे बचने के रामबाण तरीके

 
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जैसलमेर में शुक्रवार 17 जनवरी को बांकलसर गांव के खेत में हवा में उड़ते समय अचानक से नीचे गिरकर मरे 14 कुरजां (डेमोइसेल क्रेन) पक्षियों की मौत बर्ड फ्लू से हुई है। भोपाल स्थित निषाद लैब भेजी 2 कुरजां पक्षी की रिपोर्ट आने से पक्षियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। इससे यह साफ हो गया है कि बांकलसर में 14 कुरजां की मौत का कारण बर्ड फ्लू ही था। भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (निषाद) की रिपोर्ट में डेमोइसेल क्रेन के शवों में H5N1 एवियन फ्लू की पुष्टि की है।

इसके साथ ही जैसलमेर में अब तक बर्ड फ्लू से 33 कुरजां पक्षियों की मौत हो गई है। इसके अलावा 1 कोयल और 1 यूरेशियन वल्चर (गिद्ध) की मौत भी हुई थी, मगर वो मौत सामान्य होने के कारण प्रशासन ने राहत की सांस ली है। वहीं प्रशासन ने जिले में प्रवासी पक्षियों के डेरा डालने वाले तालाबों के पानी के उपयोग नहीं करने की अपील जारी की है।

प्रोटोकॉल के तहत दफनाए गए शव

गौरतलब है कि 11 जनवरी से जैसलमेर में बर्ड फ्लू से लगातार पक्षियों की मौत रही है। हालांकि बर्ड फ्लू से मरने वाले पक्षी सिर्फ देगराय ओरण व बांकलसर में ही मिले है। जिले में दूसरी जगह पर अभी तक बर्ड फ्लू से संक्रमित कोई पक्षी नहीं मिला है। देगराय ओरण क्षेत्र में तालाब के किनारे मिले पक्षियों के शव प्रोटोकॉल से दफनाने के बाद उस जगह पर केमकिल स्प्रे का छिड़काव किया गया है। ताकि अन्य पक्षियों में यह संक्रमित बीमारी नहीं फैले।

10 दिन में 33 कुरजां के शव मिले

जैसलमेर से 55 किलोमीटर दूर देवी कोट कस्बे के देगराय ओरण इलाके में सबसे पहले 11 जनवरी को 6 कुरजां पक्षी के शव मिले। इसके बाद 12 जनवरी को 2, 13 जनवरी को 2, 15 जनवरी को 3 और 16 जनवरी को 1 कुरजां का शव मिला। 17 जनवरी को मोहनगढ़ के बांकलसर गांव में एक साथ 14 कुरजां के शव मिले। 18 जनवरी को 4 और 20 जनवरी को 1 कुरजां का शव मिला। इस तरह अब तक कुल 33 कुरजां के शव मिले है।

सर्दी कम होने पर घटेगा संक्रमण

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. उमेश वरगंटीवार ने बताया कि आमतौर पर इंसानों की तरह पक्षियों में भी सर्दी के मौसम में इम्यूनिटी कम हो जाती है। जिससे पक्षियों में यह संक्रमित बीमारी ज्यादा फैल जाती है। उन्होंने बताया कि पक्षियों को उड़ान भरने से तो रोक नहीं सकते। ऐसे में इस संक्रमित बीमारी की रोकथाम के कोई उपाय नहीं है। लेकिन इस बीमारी से बचाव के लिए जहां मृत पक्षी मिलते है, उन्हें सरकारी निर्देशों के अनुसार दफनाने के बाद उस जगह स्प्रे कर दिया जाता है।

दूसरी जगह फैलने की आशंका कम

डॉ. उमेश ने बताया कि इस बीमारी से ग्रसित पक्षी उड़ने में असक्षम हो जाता है। जिससे अगर इस बीमारी से कोई पक्षी संक्रमित हो जाता है, तो वह दूसरे पक्षियों को संक्रमित नहीं कर सकता। हालांकि दूसरे पक्षी ही अगर उसके आस पास मंडराते रहते है तो उनके संक्रमित होने की पूरी संभावना है।

तालाबों के पानी के उपयोग पर रोक

प्रशासन द्वारा जिले में प्रवासी पक्षियों के डेरा डालने वाले तालाबों के पानी के उपयोग नहीं करने की अपील जारी की गई है। ताकि दूसरे पक्षियों में फैलने के अलावा यह बीमारी कम से कम इंसानों में नहीं फैले। इस बीमारी के इंसानों में फैलने की पूरी संभावना है। जिसके चलते ही तालाबों के पानी के उपयोग नहीं करने और गोडावण के संरक्षण के लिए डीएनपी के क्लोजरों में आमजन के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही ब्रीडिंग सेंटरों पर प्रोटोकॉल की सख्ती से पालना की जा रही है।

क्या होता है बर्ड फ्लू?

बर्ड फ्लू इन्फ्लूएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। यह आमतौर पर पक्षियों और जानवरों में फैलता है। कई बार यह संक्रमण जानवरों के जरिए इंसानों में भी फैल सकता है। बर्ड फ्लू के कई वेरिएंट काफी घातक होते हैं। हालांकि, H9N2 के मामले में बहुत गंभीर समस्याएं देखने को नहीं मिली है। इन्फ्लूएंजा वायरस 4 तरह का होता है, इन्फ्लूएंजा A, B, C और D। इनमें से ज्यादातर एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस इंसानों को संक्रमित नहीं करते हैं। हालांकि A (H5N1) और A (H7N9) से इंसानों के संक्रमित होने का खतरा रहता है। अब A (H9N2) नए खतरे के रूप में सामने आया है।

बर्ड फ्लू कैसे फैलता है?

बर्ड फ्लू पक्षियों में पाए जाने वाले इन्फ्लूएंजा वायरस के जरिए फैलता है। अभी तक इंसानों में इसके एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने के मामले सामने नहीं आए हैं। फिर भी एक्सपर्ट को डर है कि कभी भी कोई ऐसा म्यूटेंट आ सकता है, जो इंसानों से इंसानों में फैल सकता है।

बर्ड फ्लू कितनी खतरनाक बीमारी है

साल 1997 में हॉन्गकॉन्ग में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का इंसानों में पहला केस मिला था। यह H5N1 था और इसका डेथ रेट करीब 60% था यानी इससे प्रभावित 10 में से 6 लोगों की मौत हो रही थी। क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक, बर्ड फ्लू अब तक की बेहद घातक बीमारियों में से एक है। दुनिया में इसका डेथ रेट 50% से ज्यादा है। इसका मतलब है कि बर्ड फ्लू से पीड़ित 10 लोगों में से 5 की मौत हो जाती है। बर्ड फ्लू के जिस नए वेरिएंट H9N2 को लेकर हम बात कर रहे हैं, इसकी पक्षियों में मृत्यु दर 65% के करीब है। इंसानों में अभी इसके बहुत मामले देखने को नहीं मिले हैं। जो मामले मिले हैं, उनमें यह ज्यादा घातक साबित नहीं हुआ है।

क्या है बर्ड फ्लू के रिस्क फैक्टर्स?

इंफ्लूएंजा वायरस कई दिनों तक जीवित रह सकता है। H9N2 से संक्रमित पक्षी 10 दिनों तक मल और लार के जरिए वायरस फैला सकते हैं। इन्फेक्टेड सर्फेस को छूने से भी संक्रमण फैल सकता है।