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आरक्षित वर्ग उम्मीदवारों के लिए बड़ी राहत, वीडियो में जानें मेरिट माइग्रेशन पर हाईकोर्ट का बडा फैसला, 6 सप्ताह में नियुक्ति का आदेश

आरक्षित वर्ग उम्मीदवारों के लिए बड़ी राहत, वीडियो में जानें मेरिट माइग्रेशन पर हाईकोर्ट का बडा फैसला, 6 सप्ताह में नियुक्ति का आदेश
 
आरक्षित वर्ग उम्मीदवारों के लिए बड़ी राहत, वीडियो में जानें मेरिट माइग्रेशन पर हाईकोर्ट का बडा फैसला, 6 सप्ताह में नियुक्ति का आदेश

राजस्थान हाई कोर्ट ने रिज़र्वेशन और मेरिट से जुड़े एक अहम मामले में अहम फ़ैसला सुनाया है। जस्टिस फ़रज़ाद अली की कोर्ट ने "मेरिट माइग्रेशन" के सिद्धांत को दोहराते हुए साफ़ किया कि अगर रिज़र्व कैटेगरी का कोई कैंडिडेट बिना किसी खास छूट - जैसे उम्र में छूट, क्वालिफ़िकेशन में छूट, या दूसरे रिज़र्वेशन फ़ायदों - के जनरल कैटेगरी के कट-ऑफ़ से ज़्यादा नंबर लाता है, तो उसे जनरल कैटेगरी में चुना हुआ माना जाएगा।

यह फ़ैसला भविष्य में कई रिज़र्व कैटेगरी के कैंडिडेट्स के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि कई भर्तियों में यह लंबे समय से एक समस्या रही है कि ज़्यादा नंबर लाने के बावजूद कैंडिडेट्स को उनके रिज़र्व कैटेगरी के कोटे में रख दिया जाता है।

2014 भर्ती विवाद

हाई कोर्ट ने यह फ़ैसला राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन (RPSC) द्वारा 2014 में निकाली गई जूनियर हाइड्रोजियोलॉजिस्ट भर्ती से जुड़े विवाद पर दिया। इस भर्ती के नतीजे 18 जनवरी, 2018 को घोषित किए गए थे। जोधपुर निवासी याचिकाकर्ता कीर्ति चौधरी की याचिका 2018 से कोर्ट में पेंडिंग थी। कोर्ट ने अब उनकी याचिका स्वीकार कर ली है और छह हफ़्ते के अंदर उनकी नियुक्ति का निर्देश दिया है।

क्या था विवाद?

पिटीशनर के वकील ने दलील दी कि इस भर्ती में OBC (महिला) कैटेगरी की कैंडिडेट दीप्ति कलाल ने 61 मार्क्स हासिल किए थे, जबकि जनरल (महिला) कैटेगरी का कट-ऑफ 58 था। हालांकि, RPSC ने दीप्ति कलाल को जनरल कैटेगरी में शामिल करने के बजाय OBC कैटेगरी कोटे के तहत सिलेक्टेड माना।

पिटीशन में कहा गया कि दीप्ति ने रिज़र्व्ड कैटेगरी के तहत सिर्फ फीस में छूट जैसे फॉर्मल फायदे लिए थे, लेकिन उन्हें जनरल कैटेगरी में सिलेक्शन के लिए कोई छूट नहीं दी गई थी। ऐसे में उन्हें जनरल कैटेगरी में शामिल किया जाना चाहिए था। अगर ऐसा होता, तो जनरल महिला कैटेगरी में सिलेक्शन ऑर्डर बदल जाता, और एप्लिकेंट कीर्ति चौधरी को सिलेक्शन का मौका मिल जाता।

कोर्ट के साफ निर्देश

कोर्ट ने कहा कि "अगर कोई कैंडिडेट बिना रिज़र्वेशन फायदे के जनरल कैटेगरी में मेरिट लाता है, तो उसे उसी कैटेगरी का माना जाएगा। सिर्फ तभी जब कैंडिडेट जनरल कट-ऑफ पूरा नहीं कर पाता, रिज़र्व्ड कैटेगरी की सीट ऑफर की जानी चाहिए।" कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि RPSC और दूसरी रिक्रूटमेंट एजेंसियां ​​भविष्य में इस नियम को लागू करें, ताकि योग्य उम्मीदवार अपने अधिकारों से वंचित न रहें।

भर्ती में लंबे समय से चल रहा विवाद

एजुकेशनल, टेक्निकल, एडमिनिस्ट्रेटिव और पुलिस भर्ती समेत कई परीक्षाओं में यह मुद्दा बार-बार उठता रहा है। कई योग्य उम्मीदवारों को उनकी मेरिट के बावजूद रिज़र्व कैटेगरी में शामिल कर दिया जाता है, जिससे जनरल सीटों के लिए कम मेरिट वाले उम्मीदवारों का सिलेक्शन हो जाता है।