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Rajasthan में सस्ती जमीन नीति के मामले में जानें भजनलाल सरकार का ये बड़ा अपडेट

 
Rajasthan में सस्ती जमीन नीति के मामले में जानें भजनलाल सरकार का ये बड़ा अपडेट

जयपुर न्यूज़ डेस्क, रियायती दर पर जमीन आवंटन मामले में भाजपा भी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की राह पर चल पड़ी है। नई भूमि आवंटन नीति के लिए जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है, उसमें ‘अपनों’ को उपकृत करने का रास्ता पूरी तरह बंद करने का प्रभावी प्रावधान नहीं किया गया है। बल्कि, ज्यादातर प्रावधान को रिपीट कर दिया गया। बेशकीमती जमीन रियायती दर पर नहीं देने के प्रावधान को यथावत जरूर रखा गया है।ड्राफ़्ट में खास यह है कि जमीन आवंटन के बाद निर्धारित समय सीमा में निर्माण नहीं करने वालों पर सख्ती दिखाई गई है। ऐसे मामलों में अब तक सरकार अपने स्तर पर एक वर्ष की छूट दे सकती थी, लेकिन अब सरकार भी बिना पेनल्टी छूट नहीं दे पाएगी। इसमें आवंटन दर की 10 प्रतिशत पेनल्टी प्रतिवर्ष प्रस्तावित की गई है। इसमें रियायती दर, सार्वजनिक उपयोग, उद्योग, राजनीतिक दल को आवंटित भूमि शामिल है। अभी प्रावधान है कि सरकार चाहे तो बिना पेनल्टी एक साल की अतिरिक्त छूट दे सकती है। आवंटी को आवंटन के बाद दो साल और फिर निकाय, प्राधिकरण स्तर पर अतिरिक्त दो साल की छूट मिलती रहेगी। ड्राफ्ट पर जनता से आपत्ति-सुझाव मांगे गए हैं।

राजनीतिक दल से नहीं लेंगे जमीन वापिस

अभी प्रावधान है कि यदि कोई राजनीतिक दल भूमि आवंटन के बाद राष्ट्रीय स्तर का नहीं रह जाता है तो आवंटित भूमि एवं निर्मित भवन स्थानीय निकाय अपने कब्जे में ले लेगा। यह प्रावधान हटाना प्रस्तावित किया गया है।
मंत्री को भी मिलेंगे सस्ती जमीन देने के अधिकार

अभी तक आवंटन शर्तों व प्रावधान में छूट का अधिकार मंत्रिमण्डलीय एम्पावर्ड कमेटी के पास है। अब यह पावर कमेटी के साथ मंत्री को भी दी जा रही है। कमेटी आरक्षित या डीएलसी दर से 30 प्रतिशत दर तक ही आवंटित कर सकती है, लेकिन प्रस्ताव में इसे 50 प्रतिशत तक किया जा रहा है।

अब डीपीआर सौंपनी होगी, ताकि पता चले निर्माण कर सकेगा भी या नहीं…

आवंटित जमीन पर प्रस्तावित प्रोजेक्ट की विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी होगी। इसमें प्रोजेक्ट के लिए न्यूनतम भूमि की आवश्यकता, प्रस्तावित निर्माण का विवरण, वित्तीय लागत का अनुमान और भवन का किस उद्देश्य के लिए उपयोग करेंगे, इन सभी की स्पष्ट जानकारी देनी होगी। प्रोजेक्ट पूरा करने का निर्धारित समय भी बताना होगा।संस्थान को यह स्पष्ट करना होगा कि भूमि आवंटन से परियोजना का लाभ समाज के किन वर्गों को किस तरह से होगा।भूमि आवंटन के लिए आवेदन शुल्क 5 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रुपए होगा।