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डूंगरपुर में बीएपी सांसद और विधायक ने भाजपा सांसद को धमकाया, वीडियो में जानें बैठक में गरमाया माहौल, हाथापाई तक पहुंची नौबत

डूंगरपुर में बीएपी सांसद और विधायक ने भाजपा सांसद को धमकाया, वीडियो में जानें बैठक में गरमाया माहौल, हाथापाई तक पहुंची नौबत
 
डूंगरपुर में बीएपी सांसद और विधायक ने भाजपा सांसद को धमकाया, वीडियो में जानें बैठक में गरमाया माहौल, हाथापाई तक पहुंची नौबत

सोमवार सुबह जिले में जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक के दौरान राजनीतिक विवाद का एक नया मामला सामने आया। बैठक के दौरान बीएपी सांसद और विधायक ने भाजपा सांसद को धमकाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। घटना में विधायक उमेश डामोर ने सांसद मन्नालाल रावत को चुनौती दी और कहा कि “लड़ाई करनी हो तो बाहर आ जाना, मैदान में आओ खुलके।” इस धमकी भरे बयान के बाद बैठक का माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया।

सूत्रों के अनुसार, सोमवार सुबह आयोजित इस बैठक में सबसे पहले उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत और बांसवाड़ा से बीएपी सांसद राजकुमार रोत के बीच बहस शुरू हुई। शुरुआत में बहस मुद्दों पर केंद्रित थी, लेकिन थोड़ी देर में यह तू-तू, मैं-मैं तक पहुंच गई। इसके बाद डूंगरपुर विधायक उमेश डामोर भी इस बहस में कूद पड़े और स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।

मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत बीच-बचाव किया और किसी बड़े विवाद को रोकने की कोशिश की। अधिकारियों ने बताया कि बैठक के दौरान किसी प्रकार की हिंसा या शारीरिक संघर्ष नहीं हुआ, लेकिन नेताओं के तीखे बोलने से माहौल गरम हो गया।

स्थानीय राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह घटना राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और क्षेत्रीय प्रभाव को लेकर पैदा हुई तनाव का परिणाम है। डूंगरपुर जिला प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां अब इस घटना की रिपोर्ट तैयार कर रही हैं और दोनों पक्षों से विस्तृत जानकारी लेने की योजना बना रही हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के घटनाक्रम से लोकतांत्रिक बैठकों की गरिमा पर भी सवाल उठते हैं। जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक जैसी महत्वपूर्ण बैठकों का उद्देश्य विकास संबंधी मुद्दों पर चर्चा करना होता है, लेकिन नेताओं के व्यक्तिगत मतभेद और राजनीतिक विवाद इसे प्रभावित कर सकते हैं।

इस घटना के बाद भाजपा और बीएपी के नेताओं ने आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि, विपक्ष और नागरिक समाज ने इस घटना की निंदा की है और नेताओं से शांति बनाए रखने की अपील की है। अधिकारियों का कहना है कि भविष्य में इस तरह की बैठकों में सुरक्षा बढ़ाई जाएगी और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

 स्थानीय प्रशासन को केवल सुरक्षा सुनिश्चित करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि नेताओं को संवैधानिक और लोकतांत्रिक व्यवहार का पालन कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए। इसके अलावा, राजनीतिक दलों को भी अपने नेताओं को अनुशासित करने और बैठक के माहौल को शांत बनाए रखने की जिम्मेदारी निभानी होगी।

इस घटना ने डूंगरपुर जिले में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की गंभीरता और नेताओं के बीच बढ़ते तनाव को उजागर किया है। प्रशासन और राजनीतिक दलों को अब इस तरह के विवादों से बचने और विकास बैठकों को सुचारू रूप से चलाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।