झुंझुनूं में अवैध रूप से रह रहा बंगलादेशी परिवार हिरासत में, वीडियो में जानें डॉक्युमेंट्स नहीं दिखा सके तो देश भेजने की तैयारियां शुरू

राजस्थान के झुंझुनूं जिले में पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए पचेरीकलां थाना क्षेत्र स्थित एक ईंट भट्ठे से सात बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया है। यह सभी संदिग्ध रूप से भारत में अवैध रूप से रह रहे थे। पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि पकड़े गए लोगों में 3 पुरुष, 2 महिलाएं और 2 बच्चे शामिल हैं।
पुलिस को काफी समय से इस इलाके में अवैध प्रवासियों के छिपे होने की सूचना मिल रही थी। इसके बाद विशेष निगरानी और पुख्ता सूचना के आधार पर पचेरीकलां थाना पुलिस ने ईंट भट्ठे पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान ये सभी लोग संदिग्ध स्थिति में पाए गए। पूछताछ के दौरान ये लोग अपनी भारतीय नागरिकता साबित नहीं कर पाए, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने बताया कि पकड़े गए सभी लोगों के पास से फर्जी दस्तावेज, विशेष रूप से आधार कार्ड, भी बरामद किए गए हैं। इन दस्तावेजों पर उनकी पहचान भारतीय नागरिक के रूप में दर्ज थी, जो संदेहास्पद है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि ये सभी लोग पिछले कुछ समय से इस क्षेत्र में काम कर रहे थे और स्थानीय ईंट भट्ठा मालिकों की मदद से पहचान छिपाए हुए थे।
पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इन बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में प्रवेश किस माध्यम से करवाया गया और क्या इसके पीछे कोई मानव तस्करी गिरोह सक्रिय है। साथ ही, फर्जी दस्तावेज बनवाने में किन-किन लोगों की भूमिका रही, इसकी भी जांच की जा रही है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। इसके अलावा, संबंधित खुफिया एजेंसियों को भी इस मामले की जानकारी दे दी गई है ताकि इनके प्रवेश और गतिविधियों की पृष्ठभूमि की गहनता से जांच की जा सके।
स्थानीय प्रशासन ने भी ईंट भट्ठा मालिकों को चेतावनी दी है कि वे बिना वैध पहचान पत्र और सत्यापन के किसी भी श्रमिक को काम पर न रखें, वरना उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि देश में अवैध घुसपैठ और फर्जी दस्तावेजों के नेटवर्क की ओर भी इशारा करता है। पुलिस और प्रशासन की सतर्कता के कारण यह साजिश समय रहते सामने आ सकी, लेकिन यह साफ है कि सीमावर्ती और ग्रामीण इलाकों में इस तरह की गतिविधियों पर और कड़ी नजर रखने की जरूरत है।