'युवा हित में जल्द लें फैसला' अशोक गहलोत ने फिर उठाई राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव की मांग
जयपुर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान में बहुत समय से छात्र संघ चुनाव को लेकर मांग की जा रही है. इसके छात्रों द्वारा पहले भी कई बार धरना-प्रदर्शन किया गया है. पूर्व सरकार कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा चुनाव से पहले छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी थी. जो अभी तक लगी हुई है. लेकिन हाल ही छात्र संघ चुनाव बहाल करने की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से चुनाव करवाने को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट की है.जिसमें उन्होंने लिखा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव होने के बाद राजस्थान के छात्रनेता भी राज्य सरकार से छात्रसंघ चुनाव बहाल करने की उम्मीद कर रहे हैं.
'आचार संहिता के कारण रोका था चुनाव'
पूर्व सीएम ने आगे लिखा कि हमारी सरकार ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों और आचार संहिता के कारण चुनावी वर्ष में छात्रसंघ चुनावों को रोका था. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा भी छात्रसंघ चुनावों पर प्रतिबंध लगाया गया था. जिसे हमारी सरकार आने पर युवाओं के हित और लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए पुन: बहाल किया गया था.
दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव होने के बाद राजस्थान के छात्रनेता भी राज्य सरकार से छात्रसंघ चुनाव बहाल करने की उम्मीद कर रहे हैं। हमारी सरकार ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों एवं आचार संहिता के कारण चुनावी वर्ष में छात्रसंघ चुनावों को रोका था।
दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव होने के बाद राजस्थान के छात्रनेता भी राज्य सरकार से छात्रसंघ चुनाव बहाल करने की उम्मीद कर रहे हैं। हमारी सरकार ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों एवं आचार संहिता के कारण चुनावी वर्ष में छात्रसंघ चुनावों को रोका था। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 29, 2024
दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव होने के बाद राजस्थान के छात्रनेता भी राज्य सरकार से छात्रसंघ चुनाव बहाल करने की उम्मीद कर रहे हैं। हमारी सरकार ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों एवं आचार संहिता के कारण चुनावी वर्ष में छात्रसंघ चुनावों को रोका था। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 29, 2024
'राजनीति की पहली सीढ़ी होता है छात्रसंघ चुनाव'
अशोक गहलोत ने आगे लिखा कि छात्रसंघ चुनाव राजनीति की पहली सीढ़ी की तरह हैं. इसमें हार-जीत के कोई मायने नहीं हैं. इनमें भाग लेने से ही विद्यार्थियों की राजनीतिक समझ बढ़ती है. 1972-73 में मैं स्वयं छात्रसंघ चुनाव लड़ा पर हार गया था. इसके बावजूद राजनीति में आगे बढ़ा.राजस्थान की वर्तमान राजनीति में विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी, राजेन्द्र राठौर, रघु शर्मा, महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास, हरीश चौधरी, राजकुमार शर्मा, हनुमान बेनीवाल, महेन्द्र चौधरी, मनीष यादव, मुकेश भाकर, विकास चौधरी, रामनिवास गावड़िया, कालीचरण सर्राफ, चंद कृपलानी, अशोक लाहोटी, अरुण चतुर्वेदी समेत तमाम विधायक और पूर्व विधायक छात्रसंघ से ही निकले हैं.
'मुख्यमंत्री युवा हित में जल्द लें फैसला'
गहलोत ने आगे लिखा कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. अरुण जेटली, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भी छात्रसंघ की राजनीति से निकले हैं. राज्य सरकार को लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी और अधिक मजबूत करने और राजस्थान के बेहतर भविष्य के लिए छात्रसंघ चुनावों को बहाल करना चाहिए. मैं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से व्यक्तिश अपील करता हूं कि युवाहित में यह फैसला तुरंत लें.