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जितना चमत्कारी उतना ही खौफनाक है अजमेर शरीफ दरगाह का इतिहास, वीडियो में भूतिया किस्से कहानिया जान काँप जाएगी रूह

जितना चमत्कारी उतना ही खौफनाक है अजमेर शरीफ दरगाह का इतिहास, वीडियो में भूतिया किस्से कहानिया जान काँप जाएगी रूह
 
जितना चमत्कारी उतना ही खौफनाक है अजमेर शरीफ दरगाह का इतिहास, वीडियो में भूतिया किस्से कहानिया जान काँप जाएगी रूह

राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि इसका इतिहास भी कई रहस्यों, चमत्कारों और खौफनाक कहानियों से भरा पड़ा है। हर साल लाखों लोग यहां दुआ मांगने आते हैं और मानते हैं कि दरगाह पर सच्चे दिल से की गई हर दुआ कबूल होती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस दरगाह के इतिहास के कुछ पन्ने खौफ, साजिश और खून से भी सने हुए हैं।


ख्वाजा साहब का आगमन और आध्यात्मिक चमत्कार
12वीं सदी में ईरान से भारत आए ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को सूफी संतों का बादशाह कहा जाता है। उन्होंने अजमेर को अपनी कर्मभूमि बनाया और गरीब, पीड़ित और शोषित लोगों को आध्यात्मिक राह दिखाई। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी भक्ति और प्रेम से उस दौर के कट्टर राजाओं को भी प्रभावित किया था।अजमेर की गलियों में आज भी उनके चमत्कारों की कहानियां सुनाई जाती हैं- जैसे बिना बोले किसी की बीमारी ठीक कर देना, सूखी जमीन पर हरियाली उगा देना या पानी को मीठा बना देना। ऐसा माना जाता है कि ख्वाजा साहब की आत्मा आज भी दरगाह में मौजूद है और वहीं से लोगों की मुरादें पूरी करती है।

दरगाह का निर्माण और मुगलों की भूमिका
अजमेर शरीफ दरगाह की वास्तुकला अद्भुत है, जिसे मुगलों ने सजाया और संरक्षित किया था। खास तौर पर अकबर और जहांगीर दरगाह के महान संरक्षक थे। अकबर हर साल अपनी पत्नी जोधा के साथ यहां टहलते थे और मुरादें मांगते थे। उन्होंने दरगाह परिसर में 'बुलंद दरवाजा' और 'शाही महल' जैसी कई संरचनाएं बनवाईं।हालांकि मुगल शासन के दौरान इस दरगाह को लेकर सत्ता संघर्ष और षड्यंत्र भी हुए। पुराने इतिहासकारों के अनुसार ख्वाजा साहब की मजार के पास कुछ ऐसे सुराग हैं जिन्हें सदियों से छिपाया गया है, ताकि धार्मिक सौहार्द बना रहे।

भूत-प्रेत से जुड़ी घटनाएं
अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर स्थानीय लोगों में कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। कुछ लोगों का कहना है कि दरगाह के पिछले हिस्से में रात के समय अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती हैं। कहा जाता है कि यहां कुछ आत्माएं कैद हैं जो मुक्ति चाहती हैं।एक लोककथा के अनुसार, 17वीं शताब्दी में एक राजा ने दरगाह के चांदी के दरवाजे चुराने की कोशिश की थी। लेकिन जैसे ही मजदूरों ने इसे हटाना शुरू किया, पूरी टीम रहस्यमय तरीके से मर गई। तब से लेकर आज तक वह दरवाजा वहीं रखा हुआ है और उसे छूना भी मना है।

जुल्म करने वालों की सजा की कहानी
अजमेर शरीफ से जुड़ी एक मशहूर कहानी है कि एक बार एक क्रूर सूबेदार ने एक गरीब फकीर की जमीन हड़प ली। फकीर ख्वाजा साहब की मजार पर गया और न्याय की गुहार लगाई। कहा जाता है कि उसी रात सूबेदार की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई और जमीन गरीबों को वापस कर दी गई। इस घटना के बाद से लोगों का मानना ​​है कि जो भी गलत करता है, उसे ख्वाजा साहब की दरगाह से कभी राहत नहीं मिलती।

आज भी होती हैं रहस्यमयी घटनाएं
आज भी अजमेर शरीफ दरगाह में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जो वैज्ञानिक सोच से परे हैं। कई श्रद्धालुओं का कहना है कि दरगाह में बैठते ही मन को गहरी शांति मिलती है। कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि उन्हें ख्वाजा साहब के सपने आए और जीवन की बड़ी समस्याओं का समाधान मिला। कई बार यहां लोगों के मोबाइल या कैमरे काम करना बंद कर देते हैं। कोई तकनीकी कारण नहीं मिलता, लेकिन परिसर से बाहर निकलते ही सब कुछ सामान्य हो जाता है।

क्या कहते हैं इतिहासकार और धर्मगुरु?
इतिहासकारों का मानना ​​है कि भले ही कुछ कहानियां अतिशयोक्तिपूर्ण हों, लेकिन दरगाह का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व निर्विवाद है। सूफी धर्मगुरुओं का मानना ​​है कि ख्वाजा साहब की दरगाह महज एक इमारत नहीं, बल्कि एक जीवंत आध्यात्मिक शक्ति है।

आस्था और रहस्य का संगम
अजमेर शरीफ दरगाह आस्था और रहस्य का ऐसा संगम है, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शक्ति देता है और जिज्ञासुओं को इतिहास की गलियों में ले जाता है। यह स्थान बताता है कि जहां चमत्कार होते हैं, वहां रहस्य भी छिपे होते हैं - और कभी-कभी डर भी।