निजी स्कूलों जैसी सुविधाओं से लैस होंगे आंगनबाड़ी केंद्र, वीडियो में जानें जिले के 70 केंद्रों को बनाया जाएगा इको फ्रेंडली और आदर्श

झुंझुनूं जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अब बच्चों को शिक्षा और पोषण के क्षेत्र में एक नई और सकारात्मक पहल का लाभ मिलने जा रहा है। जिला प्रशासन ने 70 आंगनबाड़ी केंद्रों को निजी प्ले स्कूलों की तर्ज पर विकसित करने की पूरी तैयारी कर ली है। यह कदम राज्य सरकार की “सशक्त आंगनबाड़ी” योजना के तहत उठाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा और बेहतर पोषण देना है।
अधिकारियों के अनुसार, इन केंद्रों को इको-फ्रेंडली और आदर्श रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे बच्चों को एक सकारात्मक, सुरक्षित और आकर्षक वातावरण में सीखने और बढ़ने का अवसर मिलेगा। इन केंद्रों में दीवारों पर शैक्षणिक चित्रकारी, स्मार्ट लर्निंग सामग्री, रंगीन फर्नीचर, साफ-सुथरे किचन, और बाल हितैषी टॉयलेट्स की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि यह परियोजना शिक्षा के साथ-साथ पोषण सुधार को भी ध्यान में रखकर बनाई गई है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे आधुनिक पद्धतियों से बच्चों को पढ़ा सकें और उनके शारीरिक व मानसिक विकास में सकारात्मक भूमिका निभा सकें।
इन नवाचारों से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी वही सुविधाएं मिलेंगी जो अब तक केवल शहरी निजी प्ले स्कूलों में मिलती रही हैं। विशेष रूप से 3 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए यह बदलाव काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि यही वह उम्र है जब बच्चों की नींव मजबूत की जाती है।
इसके साथ ही प्रत्येक केंद्र में बच्चों के लिए संतुलित आहार उपलब्ध कराने की योजना भी बनाई गई है। हफ्ते में अलग-अलग दिन पोषक तत्वों से भरपूर भोजन देने की रूपरेखा तय की जा चुकी है। प्रशासन की मंशा है कि कोई भी बच्चा कुपोषण का शिकार न हो और सभी को समान अवसर मिलें।
गौरतलब है कि झुंझुनूं जिला पहले भी शिक्षा और बाल विकास के क्षेत्र में कई सफल मॉडल प्रस्तुत कर चुका है। इस नई पहल को भी एक प्रेरणास्रोत के रूप में देखा जा रहा है, जिसे राज्य के अन्य जिलों में भी अपनाया जा सकता है।
ग्रामीण अभिभावकों में भी इस परियोजना को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। उनका कहना है कि अब उनके बच्चे भी आधुनिक माहौल में सीख सकेंगे, जिससे उनका आत्मविश्वास और विकास स्तर बेहतर होगा।
यह पहल न सिर्फ बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाएगी, बल्कि ग्रामीण समाज में शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को भी मजबूती देगी।