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Alwar के 'महाबोधि विहार का प्रबंधन गैर बौद्धों के हाथों में, जिससे पाखंड फैल रहा', PM और CM के नाम सौंपा ज्ञापन

Alwar के 'महाबोधि विहार का प्रबंधन गैर बौद्धों के हाथों में, जिससे पाखंड फैल रहा', PM और CM के नाम सौंपा ज्ञापन
 
Alwar के 'महाबोधि विहार का प्रबंधन गैर बौद्धों के हाथों में, जिससे पाखंड फैल रहा', PM और CM के नाम सौंपा ज्ञापन

महाबोधि विहार मुक्ति आंदोलन के समर्थन में भारतीय बौद्ध महासभा ने अलवर में मिनी सचिवालय के सामने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम अलवर जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखीं।

इन लोगों की मुख्य मांग यह है कि महाबोधि महाविहार का प्रबंधन केवल बौद्ध धर्म के लोगों को ही सौंपा जाए। बिहार के बौद्ध गया के महाबोधि मंदिर को लेकर विवाद 1949 में बीटीएमसी (बिहार मंदिर प्रबंधन समिति) अधिनियम बनने के बाद से ही चल रहा है और इसका प्रबंधन गैर बौद्धों के हाथ में है, जिसके कारण वहां पाखंड फैल रहा है।

जानकारी के अनुसार बौद्ध भारतीय महासभा के प्रदेशाध्यक्ष फूल सिंह बौद्ध व प्रदेश कोषाध्यक्ष ताराचंद बौद्ध ने बताया कि बुधवार को अलवर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने महाबोधि मंदिर प्रबंधन को लेकर मिनी सचिवालय के सामने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने रैली निकालकर देश के प्रधानमंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के नाम अलवर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के बौद्ध गया स्थित महाबोधि मंदिर का विवाद 1949 में गठित बीटीएमसी (बिहार मंदिर प्रबंधन समिति) अधिनियम से जुड़ा है। बौद्ध समुदाय की मांग है कि मंदिर का प्रबंधन पूरी तरह बौद्ध समुदाय को सौंप दिया जाए। उनका कहना है कि गैर-बौद्धों के प्रबंधन में मंदिर पाखंड और अंधविश्वास फैला रहा है। कहा गया कि हर धर्म में धार्मिक स्थलों का रखरखाव उस धर्म के लोगों द्वारा किया जाता है।

उदाहरण के लिए, मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों सहित सभी धर्मों में धर्म के अनुसार आदेश दिए जाते हैं। लेकिन बौद्ध मंदिरों में गैर-बौद्धों को बैठाया जाता है, जो कि बिल्कुल गलत है। उन्हें वहां से हटाकर बौद्ध धर्म के लोगों को कमान सौंप देनी चाहिए। यदि हमारी मांगें पूरी नहीं की गईं तो और तीव्र आंदोलन किया जाएगा। इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी। क्योंकि बार-बार अनुरोध के बावजूद वहां की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया।