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जयपुर का अल्बर्ट हॉल म्यूजियम! 11 साल की मेहनत और 5 लाख की लागत से बनी थी ये ऐतिहासिक धरोहर, 3 मिनट के वीडियो में देखे अद्भुत रहस्य

जयपुर का अल्बर्ट हॉल म्यूजियम! 11 साल की मेहनत और 5 लाख की लागत से बनी थी ये ऐतिहासिक धरोहर, 3 मिनट के वीडियो में देखे अद्भुत रहस्य
 
जयपुर का अल्बर्ट हॉल म्यूजियम! 11 साल की मेहनत और 5 लाख की लागत से बनी थी ये ऐतिहासिक धरोहर, 3 मिनट के वीडियो में देखे अद्भुत रहस्य

राजधानी जयपुर का अल्बर्ट हॉल म्यूजियम देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है। यहां एक ही छत के नीचे दुनियाभर की कला सामग्री देखी जा सकती है। ज्ञान का केंद्र माने जाने वाले अल्बर्ट हॉल म्यूजियम में देशी-विदेशी पर्यटक ही नहीं बल्कि विद्यार्थी भी अध्ययन करने आते हैं। मिस्र की ममी के अलावा यहां की वास्तुकला भी इसे खास बनाती है। हर खंभे पर निर्माता का नाम इसे अलग पहचान देता है। विश्व संगीत दिवस के मौके पर देखिए जयपुर से यह रिपोर्ट...


अल्बर्ट हॉल म्यूजियम की स्थापना 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड की जयपुर यात्रा के दौरान हुई थी। इस म्यूजियम को 1887 में आम जनता के लिए खोल दिया गया था। यह राजस्थान का सबसे पुराना म्यूजियम है। इसमें पेंटिंग्स, विभिन्न कलाकृतियां, पुराने आभूषण, धातु, पत्थर, कालीन, हाथी दांत की मूर्तियां, विभिन्न सिक्कों के संग्रह के अलावा इंडो-सरसेनिक शैली का डिजाइन इसे दुनिया में अलग पहचान देता है। पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक डॉ. पंकज धरेन्द्र ने बताया कि अल्बर्ट हॉल संग्रहालय का निर्माण 1876 में शुरू हुआ था। 1887 में इसका निर्माण पूरा हुआ। राजा राम सिंह के समय निर्माण शुरू हुआ और राजा माधो सिंह के समय पूरा हुआ। इसका पुराना नाम जयपुर संग्रहालय था। अब इसे राज्य केन्द्रीय संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के शिल्प देखने को मिलते हैं। 1883 में पुरानी विधानसभा में प्रदर्शनी लगी थी, तब अधिकांश लोगों ने अपने पुराने संग्रह इस संग्रहालय को भेंट किए थे। कुछ पुराने संग्रह राजा ने खरीदे थे। कई चीजें खरीदी गई और कई चीजों की प्रतिकृतियां बनाई गई।

विभिन्न देशों की स्थापत्य शैलियों का समावेश: अल्बर्ट हॉल में दुनिया भर की अनूठी और ऐतिहासिक वस्तुएं देखी जा सकती हैं। अल्बर्ट हॉल देश की एकमात्र ऐसी इमारत है, जिसमें कई देशों की स्थापत्य शैलियों का समावेश है। यहां गैलरी में पर्यटकों के लिए जयपुर के राजपरिवार के चित्र, राजसी चिह्न, भारतीय और विदेशी कला नमूनों की प्रतिकृतियां और भित्ति चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। हर खंभे पर निर्माता का नाम: अल्बर्ट हॉल संग्रहालय की इमारत की वास्तुकला बेहद खूबसूरत है। यह विभिन्न स्थापत्य कलाओं का नमूना है। इसमें शिल्पकला को देखा जा सकता है। इमारत के हर खंभे पर निर्माता का नाम लिखा है, जिससे पता चलता है कि पहले लोग नाम के लिए काम करते थे, पैसा गौण था। संग्रहालय में रखी मिस्र की ममी आकर्षण का खास केंद्र है। इसकी इमारत इंडो-अरबी शैली में बनाई गई है, जो बेहद खूबसूरत लगती है।

322 ईसा पूर्व की मिस्र की ममी: अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के अधीक्षक महेंद्र कुमार निमहल ने बताया कि 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स के आगमन पर राजा राम सिंह द्वितीय ने अल्बर्ट हॉल की नींव रखी थी। देश-विदेश की पुरानी चीजों को एकत्र कर यहां रखा गया था। सबसे पहले 1883 में पुरानी विधानसभा और फिर लंदन में प्रदर्शनी लगाई गई थी। इसके बाद यहां देश-विदेश की कलाकृतियां प्रदर्शित की गईं। 1887 में अल्बर्ट हॉल संग्रहालय को आम जनता के लिए खोल दिया गया। उस समय अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के निर्माण पर करीब 5 लाख रुपये खर्च हुए थे। संग्रहालय में मुख्य आकर्षण 322 ईसा पूर्व की मिस्र की ममी है। यह देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आश्चर्य का विषय है।

इस संग्रहालय में 1622 ई. का फारसी कालीन है। अल्बर्ट हॉल में संरचना, सिक्के, हथियार, ब्लू पॉटरी, धातु की वस्तुएं, पेंटिंग, वस्त्र, लकड़ी की कला, आभूषण जैसे विभिन्न वर्गों में प्रदर्शनी लगाई गई। करीब 2700 वस्तुएं प्रदर्शित की गई। शेष आरक्षित संग्रह हैं। ज्ञान का केंद्र अल्बर्ट हॉल: अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में 45 शैलियों के कालीन हैं, जो पर्यटकों को अचंभित कर देते हैं। यहां कई प्राचीन वस्तुएं पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। ब्लू पॉटरी जयपुर ही नहीं, बल्कि जापान व अन्य देशों से भी आकर्षण का केंद्र है। यहां विभिन्न प्रकार की 18 गैलरी हैं। अल्बर्ट हॉल में एक ही छत के नीचे दुनिया भर की कला सामग्री देखी जा सकती है। यह ज्ञान का केंद्र भी है, जो देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ विद्यार्थियों को भी आकर्षित करता है। यह जयपुर का पहला संग्रहालय है।