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Diwali 2023 से पहले प्रदेश में सक्रिय हुए मिलावटखोर, बाजार में थोक से बिक रही मिलावटी मावे से बनी मिठाइयां

 
Diwali 2023 से पहले प्रदेश में सक्रिय हुए मिलावटखोर, बाजार में थोक से बिक रही मिलावटी मावे से बनी मिठाइयां 

राजस्थान न्यूज़ डेस्क, राजधानी जयपुर में सामान्य दिनों की तरह करीब 22 से 25 लाख लीटर दूध की ही आवक हो रही है। इसमें शामिल जयपुर डेयरी में रोजाना 13.50 लाख लीटर दूध ही आ रहा है। जिसमें 11.50 लाख लीटर दूध सप्लाई में जा रहा है। शेष दूध से डेयरी प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं। दूध की आपूर्ति यथावत रहने के बाद मावा की तीन गुना खपत बढ़ गई है। सवाल यह है कि मावा कहां से आ रहा है और मिठाइयां कैसे बन रही हैं। दूसरी ओर मावा व्यापारियों का तर्क है कि निजी डेयरियों की मदद से मावा बनवाकर मंगवाया जा रहा है।

अस्थायी फैक्ट्री में मिठाई बनाने और बेचने के लिए कोई जीएसटी या टैक्स नहीं देना होता। पैकिंग पर कोई ब्रांड और फर्म नहीं होने के कारण भी सरकारी कार्रवाई से भी बच जाते हैं। इनमें मिठाई बनाने में मिलावटी मावा और अन्य सस्ते माल का इस्तेमाल किया जाता है।  मिठाई के प्रतिष्ठित दुकानदारों ने मिलावट के मामलों को देखते हुए स्वयं मावा की फैक्ट्री खोल ली हैं। सरस और अमूल जैसी सरकारी डेयरियों का गुणवत्तापूर्ण दूध आसानी से मिल जाता है।  जयपुर. अगर आप त्योहार पर मिठाई खरीद रहे हैं तो जांच पड़ताल अवश्य कर लें। वजह, मिलावटखोर सक्रिय हैं और मिलावटी मावा से बनी मिठाइयां धड़ल्ले से बिक रही हैं। चिकित्सा विभाग की टीमों की कार्रवाई में इसका खुलासा हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि राजधानी में दूध की आवक यथावत है और मावा की खपत तीन गुना तक पहुंच गई है। ऐसी स्थिति में मावा की उपलब्धता व मिठाई की गुणवत्ता संदेह के घेरे में है। मिष्ठान कारोबारियों के अनुसार नवरात्र से दिवाली तक एक माह के त्योहारी सीजन में जयपुर में 30 से 40 हजार किलोग्राम मावे की खपत होती है।