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Jaipur में कालबेलिया नृत्य की लय के बाद होली के गीतों ने मचाया धमाल.दिखाई कालबेलिया नृत्य की खूबसूरती

 
कालबेलिया नृत्य की लय के बाद होली के गीतों ने मचाया धमाल.दिखाई कालबेलिया नृत्य की खूबसूरती

जयपुर न्यूज़ डेस्क सात दिव्य लोक संस्कृति महोत्सव 'धरती धोरां री' का पांचवां दिन और भी शोकपूर्ण रहा, क्योंकि इस दिन सायरन प्रताप स्टेडियमोरियम के मंच पर पद्मश्री गुलाबो और उनके मित्र कलाकारों की टीम थी. इस मशीन पर गुलाबो के आते ही कोटा ऑडिटोरियम गड़गड़ाहट से गूंज उठा। जैसे ही लोक कलाकारों ने प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्य गीत 'काल्यो जंप पड़ायो मेले में' की धुन बजाई तो गुलाबो रबर की गुड़िया की तरह नाचने लगीं और चलने लगीं। अनु कालबेलिया नृत्य के उस्ताद की शिष्या थीं. इस डांस की खास बात ये है कि जब गुलाबो की तीन पीढ़ियां, उनकी तीन बेटियां और पोतियां भी डांस में शामिल हुईं तो लोग झूमने लगे.जैसे ही कालबेलिया नृत्य गीत 'काल्यो जंप पड़्यो मेले में' की धुन बजने लगी, गुलाबो बलखाती राबड़ी गुड़िया की तरह नाचने लगीं।दादी बनने के बाद भी गुलाबो को डांस का शौक था और उनका जबरदस्त अंदाज देखने वाले लोग हैरान रह जाते थे। इस संगीतमय कार्यक्रम में गुलाबो और उनके साथी कलाकारों ने राजस्थानी बीतड़ी और मधु नृत्य भी प्रस्तुत किया. इंफोसिस और भारतीय विद्या भवन की ओर से आयोजित इस समारोह में दीप प्रज्जवलित किया गया.
 
इंट्रीग्यू ऑफ ओल्ड डेज़ का उद्घाटन सुशोभित कमल कोठारी और वरिष्ठ चित्रकार गोपाल भारती ने दीप प्रज्वलित कर किया।
गुलाबो और श्याम सुंदर प्लांटर्स के नायकों के बाद उनके मित्र कलाकारों ने ढप चंग की लय पर होली का आनंद उठाया। श्याम सुंदर के ये कलाकार होली की अलौकिक गायन परंपरा पर आधारित थे, जिसमें मित्र कलाकारों ने ढप और चंग के साथ होली के कई पारंपरिक गीत 'चांद चढ़्यो गिग्नार' प्रस्तुत किए.
 इस संगीतमय कार्यक्रम में गुलाबो और उनके साथी कलाकारों ने राजस्थानी बीतड़ी और मधु नृत्य भी प्रस्तुत किया.अभिलाषा भारतीय एवं रुक्मणि गोयल ने लाइव प्रदर्शन कियाइस प्री-डे में सुप्रसिद्ध कलाकार अभिलाषा ललित भारतीय ने चित्र कला तथा रुक्मणि गोयल ने टाइड एण्ड डाई कलाकारों का सजीव प्रदर्शन किया तथा बड़ी संख्या में आये विद्वानों को इन विधाओं की जानकारी दी। इस मौके पर अभिलाषा भारतीय ने कई वीरांगनाओं के चित्र बनाए, वहीं रुक्मणी ने अपने कमरे को रंग-बिरंगा बनाया, कमरे के बीच में रखे रूमालों को थपथपाकर रंगीन बनाया और सैकड़ों बच्चों ने अपने-अपने रूमालों को रंग-बिरंगा बनाया। डिज़ाइन से लेकर खूबसूरत इमारतों तक।

एक अन्य अभिलाषा ललित की भी भारतीय कला की अपनी शैली थी, उन्होंने हाल ही में चार राजस्थानी नायिकाओं मीरा, हाड़ी रानी, पद्मिनी और पन्नाधाय को राजपूताना के रत्नों में एक ही शानदार रचना में चित्रित किया। रस से सराबोर. अभिलाषा ने ऐक्रेलिक कलर से कृतियों का यह संयोजन तैयार किया है। कलेक्शन में चित्रित वीर महिलाओं के भाव देखने लायक थे. भारतीय विद्या भवन के कार्यक्रम सचिव राजेंद्र सिंह पाली ने बताया कि सातवें दिव्य समारोह के छठे दिन शाम 6.15 बजे सुप्रसिद्ध ध्रुवपद गायक उस्ताद नफीस एवं उस्ताद अनीस डागर ध्रुवपद की जुगलबंगियां प्रस्तुत की जाएंगी। इसके बाद भारतीय विद्या भवन सांस्कृतिक क्लब के 45 साधकों का समूह विभिन्न लोक वाद्ययंत्र बजाएंगे। दिन में सुबह 10.30 बजे से अनिता बिंदल बंदनवार और इंदुनी मेक की कला और आत्माराम क्रोशिया, पैच वर्कशॉप द्वारा ढोल की कला का जीवंत प्रदर्शन करेंगी। प्रवेश निःशुल्क रहेगा।