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आखिर क्या है गणगौर पूजा का शुभ मुहूर्त, नियम और महत्व, फटाफट जान ले वरना नहीं मिलेगा व्रत का पूर्ण लाभ

 
आखिर क्या है गणगौर पूजा का शुभ मुहूर्त, नियम और महत्व, फटाफट जान ले वरना नहीं मिलेगा व्रत का पूर्ण लाभ
जयपुर न्यूज डेस्क - हिंदू धर्म में गणगौर पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन आप भगवान शिव और माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। साथ ही लड़कियां भी भगवान शिव जैसा प्यार करने वाला पति पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। यह त्योहार शुक्ल पक्ष (चैत्र मास) की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। ऐसे में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 31 मार्च को सुबह 9:11 बजे से शुरू होगी, जो 1 अप्रैल को सुबह 5:42 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि होने के कारण यह त्योहार 31 मार्च को रखा जाएगा। अगर आप पहली बार यह व्रत रखने जा रहे हैं तो इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं, जो आपको जाननी चाहिए। मार्च महीने में इस तिथि को रखा जाएगा गणगौर व्रत, यहां जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
गणगौर व्रत में क्या करें?
माता पार्वती और भगवान शंकर के स्वागत के लिए पूजा से एक दिन पहले अपने घर की सफाई करें।फिर व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान करें। इसके बाद माता गौरी और भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। फिर विधि-विधान से माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें। इस दौरान भक्त भगवान शिव और गौरी माता की मूर्ति स्थापित करते हैं। मूर्ति को नए वस्त्र पहनाएं, सिंदूर लगाएं और फूल और प्रसाद चढ़ाएं। पूजा करते समय महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना चाहिए। यह पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गणगौर पूजा के दिन भजन गाना चाहिए और मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। पूजा के दौरान आपको माता पार्वती को सोलह श्रृंगार अवश्य अर्पित करने चाहिए। इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
गणगौर व्रत में क्या न करें?
इस व्रत के दौरान किसी भी तरह की अपशब्दों का प्रयोग न करें। इस दिन किसी भी गरीब व्यक्ति को दरवाजे से खाली हाथ न जाने दें। गणगौर पूजा के दौरान सोने से बचना चाहिए। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की भक्ति में लीन रहना चाहिए। इससे व्रत का पूरा लाभ मिलता है। इस दिन मांसाहारी भोजन खाने से बचना चाहिए। इस दिन मन और शरीर को शुद्ध रखना चाहिए।