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Jaipur सूर्य सिद्धांत के अनुसार 31 अक्टूबर को दिवाली, वीडियो में जानें सिटी पैलेस जयपुर की रोचक जानकारी

 
Jaipur सूर्य सिद्धांत के अनुसार 31 अक्टूबर को दिवाली, वीडियो में जानें सिटी पैलेस जयपुर की रोचक जानकारी 

जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर  दिवाली मनाने को लेकर देशभर में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ विद्वान और ज्योतिषाचार्य 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने के पक्ष में हैं, जबकि कुछ 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन का समर्थन कर रहे हैं। मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब, बिहार, उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों में सरकारी अवकाश 31 अक्टूबर को ही है और बैंकों में भी इसी दिन छुट्टी रहेगी।

मंगलवार को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर में अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् की ओर से दिवाली पर्व निर्धारण के लिए एक धर्मसभा का आयोजन किया गया। धर्मसभा संयोजक प्रो. मोहनलाल शर्मा के अनुसार, इस सभा की अध्यक्षता जयपुर के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य प्रो. रामपाल शास्त्री ने की। इसमें विधायक बालमुकुंदाचार्य, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के अतिरिक्त निदेशक प्रो. सुदेश शर्मा, और अन्य विद्वान शामिल हुए।

विद्वानों ने सूर्य सिद्धांत के आधार पर 31 अक्टूबर को दीपमालिका पर्व मनाने पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया। विद्वानों का कहना है कि 31 अक्टूबर को रातभर अमावस्या है, जो कि कर्मकाल (पुण्य काल) के लिए आवश्यक है। एक नवंबर को कर्मकाल या प्रदोष व्यापिनी अमावस्या की प्राप्ति नहीं हो रही है, जिससे इस दिन लक्ष्मी पूजन का संपूर्ण फल नहीं मिल पाएगा।

जारी विवाद के बीच, प्रो. अर्कनाथ चौधरी ने स्पष्ट किया कि पर्व की तिथि का निर्धारण धर्मशास्त्रों के अनुसार सूर्य सिद्धांत पर होना चाहिए, जिससे कोई भ्रम नहीं होता। खगोलीय गणनाओं के आधार पर तैयार किए गए पंचांगों ने इस विवाद को जन्म दिया है। शाहपुरा से आए विद्वान पं. किशनलाल उपाध्याय ने भी एकतरफा फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि सभी के विचार जानने चाहिए थे।

हालांकि जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के आमंत्रित शिक्षक नहीं पहुंचे, जिससे यह आयोजन प्रभावित हुआ। प्रवक्ता शास्त्री कोसलेंद्रदास ने एक नवंबर को पर्व मनाने को यह कहते हुए शास्त्रसम्मत बताया कि 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर 3:53 बजे से शुरू होकर अगले दिन 6:17 बजे तक रहेगी। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में उल्लेख है कि लक्ष्मी पूजन का मुख्य काल प्रदोष है और जहां दो दिन पर्वकाल में तिथि हैं, वहां दूसरे दिन पर्व मनाया जाना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पं. दिनेश शर्मा ने बताया कि इस बार दोनों दिन अमावस्या प्रदोष काल में है, इसलिए लक्ष्मी पूजा एक नवंबर को करनी चाहिए। वहीं, ज्योतिर्विद पं. घनश्याम लाल स्वर्णकार ने कहा कि यह निर्णय शास्त्रों के अनुसार नहीं है। वहीं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के अतिरिक्त निदेशक प्रो.सुदेश कुमार शर्मा ने अपने ही विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर से प्रकाशित पंचांग की प्रामणिकता पर सवाल पर खड़े कर दिए हैं। पंचांग में दिवाली पर्व एक नवंबर को बताया है और प्रदोष काल में पूजा बताई है।