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जैसलमेर में न्यायाधीशों की दो दिवसीय कांफ्रेंस सम्पन्न, तकनीकी युग में न्यायिक कार्य की गति पर हुई चर्चा

जैसलमेर में न्यायाधीशों की दो दिवसीय कांफ्रेंस सम्पन्न, तकनीकी युग में न्यायिक कार्य की गति पर हुई चर्चा
 
जैसलमेर में न्यायाधीशों की दो दिवसीय कांफ्रेंस सम्पन्न, तकनीकी युग में न्यायिक कार्य की गति पर हुई चर्चा

रविवार को जैसलमेर में जजों की दो दिन की कॉन्फ्रेंस खत्म हुई, जिसमें टेक्नोलॉजी के ज़माने में न्यायिक काम की रफ़्तार और बढ़ती चुनौतियों पर गहराई से चर्चा हुई। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों ने कहा कि कानून का राज सिर्फ़ नारा नहीं रहना चाहिए, बल्कि नागरिकों के लिए जीती-जागती सच्चाई बननी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज विक्रम नाथ ने विदाई भाषण देते हुए टेक्नोलॉजी की मदद से न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ करने की बात कही। जस्टिस राजेश बिंदल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को सिर्फ़ सपोर्ट तक सीमित नहीं रखना चाहिए; इसे इंसानी सोच की जगह लेने की इजाज़त नहीं दी जा सकती।

साइबर क्राइम से सावधान रहें
सुप्रीम कोर्ट के जज अहसानुद्दीन अमानतुल्लाह ने कहा कि न्यायिक सिस्टम में डिजिटल टेक्नोलॉजी और AI को अपनाने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए, लेकिन साइबर क्राइम से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि इसके नतीजे गंभीर नुकसान होने के बाद ही सामने आते हैं।

AI न्यायिक काम में मदद कर सकता है
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने ज़ोर देकर कहा कि AI न्यायिक काम में मदद कर सकता है, लेकिन इसे इंसानी फ़ैसले, कानूनी तर्क और संवैधानिक मूल्यों से गाइड किया जाना चाहिए। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ज़िम्मेदारी से होना चाहिए
बढ़ते केसों के बारे में जस्टिस मनमोहन ने कहा कि अगर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सोच-समझकर और ज़िम्मेदारी से किया जाए, तो यह कोर्ट की एफिशिएंसी बढ़ाने और फैसलों की क्वालिटी सुधारने में मदद कर सकती है।

फॉरेंसिक कैपेसिटी को मज़बूत करने की ज़रूरत-टेक्नोलॉजिकल
जस्टिस राजेश बिंदल ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ फॉरेंसिक साइंसेज़ जैसे इंस्टीट्यूशन के ज़रिए फॉरेंसिक कैपेसिटी और टेक्नोलॉजिकल क्षमताओं को मज़बूत करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

ज्यूडिशियरी में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
वेलेडिक्टर सेरेमनी में नेशनल लीगल सर्विसेज़ अथॉरिटी के एक्टिंग चेयरमैन और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि टेक्नोलॉजी ज्यूडिशियरी की एफिशिएंसी बढ़ा सकती है, लेकिन इसका इस्तेमाल एक नौकर की तरह किया जाना चाहिए और इसे इंसानी सोच की जगह नहीं लेने देना चाहिए।

राजस्थान हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने कहा कि यह सभी इंस्टीट्यूशन की मिली-जुली ज़िम्मेदारी है कि जस्टिस सिस्टम में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नैतिक और संवैधानिक मूल्यों पर आधारित हो।