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स्वतंत्रता सेनानी कमला बेनीवाल को राजकीय सम्मान नहीं मिलने पर राजस्थान में शुरू हुआ सियासी घमासान, कांग्रेस ने बोला केंद्र सरकार पर हमला

राजस्थान की पूर्व डिप्टी सीएम और गुजरात की पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल का निधन 15 मई को हुआ था. वहीं उनका अंतिम संस्कार 16 मई को पूरे सम्मान के साथ किया गया. पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल के अंतिम संस्कार के दौरान राजकीय सम्मान नहीं मिलने को लेकर राजस्थान में सियासी विवाद शुरू हो गया है.......
 
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राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! राजस्थान की पूर्व डिप्टी सीएम और गुजरात की पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल का निधन 15 मई को हुआ था. वहीं उनका अंतिम संस्कार 16 मई को पूरे सम्मान के साथ किया गया. पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल के अंतिम संस्कार के दौरान राजकीय सम्मान नहीं मिलने को लेकर राजस्थान में सियासी विवाद शुरू हो गया है. इस मामले में कांग्रेस ने सवाल किया है. बता दें कि कमला बेनीवाल ताम्रपत्र सम्मानित नेता थी वह एक स्वतंत्रता सेनानी थीं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के ज़रिए राजस्थान सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने दिवंगत स्वतंत्रा सेनानी के अपमान का आरोप लगाया है.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए राजस्थान सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी का अपमान करने का आरोप लगाया है. स्वतंत्रता सेनानी एवं गुजरात के पूर्व राज्यपाल डाॅ. कमला बेनीवाल जी के अंतिम संस्कार में उन्हें कोई राजकीय सम्मान नहीं दिया गया।

स्वतंत्रता सेनानी होने के बावजूद उन्हें कोई राजनीतिक सम्मान नहीं मिला

दरअसल, 97 साल की डॉ. कमला बेनीवाल का गुरुवार (15 मई) को जयपुर के लाल कोठी श्मशान में अंतिम संस्कार किया गया। उनके पार्थिव शरीर को उनके मालवीय नगर स्थित आवास पर दर्शन के लिए रखा गया। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और पीसीसी चीफ समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी थी, लेकिन अब श्मशान घाट पर पूर्व राज्यपाल और पूर्व स्वतंत्रता सेनानी को नियमानुसार प्रोटोकॉल नहीं देने पर विवाद खड़ा हो गया है.

अंतिम संस्कार के दौरान कोई औपचारिक राजकीय सम्मान नहीं था। अंतिम संस्कार सामान्य तरीके से किया गया। हालांकि, प्रोटोकॉल के मुताबिक, यह राज्य सरकार की मंशा पर निर्भर करता है कि पूर्व राज्यपाल को राजकीय सम्मान दिया जाए या नहीं. लेकिन कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वह एक स्वतंत्रता सेनानी भी थीं. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था और देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें ताम्रपत्र भी दिया था, यही वजह है कि कांग्रेस उनके राजनीतिक सम्मान को लेकर मुखर है. हालाँकि, कांग्रेस ने यह भी संकेत दिया है कि कमला बेनीवाल ने गुजरात के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ रुख अपनाया था, यही कारण है कि राज्य सरकार ने राजनीतिक सम्मान में दिलचस्पी नहीं दिखाई है।