एक बाढ़ ने ली सैकड़ों जानें फिर बना ऐसा बांध जिसने संवार दिया 900 गांवों का जीवन, वीडियो में देखे जवाई बांध की पूरी कहानी

जवाई बांध पाली समेत तीन जिलों के लोगों और किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। आज यह पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है। 900 गांवों की प्यास बुझाने वाले जवाई बांध का निर्माण जोधपुर के पूर्व महाराजा उम्मेद सिंह ने उन परिस्थितियों में करवाया था, जब वर्ष 1903 में जवाई नदी में आई बाढ़ के कारण पाली और जालोर जिलों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद पूर्व महाराजा उम्मेद सिंह के मन में आया कि इस बांध का निर्माण करवाया जाएगा और फिर वर्ष 1946 में यह काम शुरू हुआ और 1957 में यह काम पूरा हुआ। जिसके बाद आज तक पाली के लोगों की प्यास बुझाने के साथ-साथ यहां से किसानों को सिंचाई के लिए भी पानी मुहैया कराया जाता है।
आज 900 गांव इस बांध पर निर्भर हैं
लोकल-18 से बातचीत करते हुए कानाराम ने बताया कि यह पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है। यह बांध पाली के लोगों की प्यास बुझाने का काम करता है। बरसात का मौसम होने पर यह बांध काफी भर जाता है। यह बांध पाली समेत कई जिलों के 900 गांवों की प्यास बुझाता है। साथ ही यहां से किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही यह बांध आसपास के वन्य जीव क्षेत्रों की प्यास भी बुझाता है।
तीन जिलों की जीवन रेखा है यह बांध
सिरोही के शिवगंज कस्बे के अलावा यह जालोर और पाली जिलों की जीवन रेखा का काम करता है। इसलिए हर साल हर गांव और हर परिवार दुआ करता है कि बांध लबालब भर जाए। हालांकि भारी बारिश के बावजूद अब तक बांध पूरी तरह नहीं भर पाया है, लेकिन इसके पानी से किसानों को अच्छा लाभ मिलता है। पश्चिमी राजस्थान का यह सबसे बड़ा बांध वर्ष 1956 में 60 लाख रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ था।
यह है बांध की क्षमता
जवाई बांध को सबसे ज्यादा जालोर जिले की जीवन रेखा कहा जा सकता है। पाली जिले को भी यही लाभ मिलता है। यहां से सैकड़ों किसानों को सिंचाई का पानी मिलता है। इसके अलावा सुमेरपुर-शिवगंज को भी इसका लाभ मिलना शुरू हो गया है। इस बांध से सुमेरपुर तहसील क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांवों को पेयजल उपलब्ध कराने की योजना है। इसके लिए पाइप लाइन भी डाली गई है। बांध का जल आवक क्षेत्र 787 वर्ग किमी है तथा पूर्ण भराव जलस्तर 312 मीटर और ओवरफ्लो लेवल 308.50 मीटर है। इसके सहयोगी सई बांध से औसत जल आवक 51 एमसीएफटी है तथा स्लूइस सील का लेवल 294.75 मीटर है तथा मुख्य कंक्रीट बांध का अधिकतम लेवल 315.56 मीटर है। इसकी नहर की लंबाई 23 किमी है।
11 साल तक चला निर्माण
बांध का निर्माण कार्य 11 साल तक चला। इतने लंबे समय तक अथक प्रयासों के बाद ही यह बांध बनकर तैयार हो सका। बांध की आधारशिला जोधपुर के पूर्व राजा उम्मेद सिंह ने 13 मई 1946 को सुबह 11:30 बजे रखी थी और यह 1956 में बनकर तैयार हुआ था।