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World Elephant Day 2022: आज प्रदेशभर में हाथी दिवस की धूम, राजधानी जयपुर में बसाया गया है देश पहला हाथी गांव

 
World Elephant Day 2022: आज प्रदेशभर में हाथी दिवस की धूम, राजधानी जयपुर में बसाया गया है देश पहला हाथी गांव

जयपुर न्यूज डेस्क। आज प्रदेशभर में विश्व हाथी दिवस 2022 की धाूम दिखाई दी है। बता दें कि राजस्थान में हाथियों को प्राकृतिक और प्रदूषण मुक्त माहौल देने के लिए जयपुर के आमेर में हाथी गांव बसाया गया है।  हाथियों की पहली पसंद पेड़ और पानी के तालाब होते हैं।  इसी को ध्यान में रखते हुए हाथी गांव में वन विभाग की ओर से सैकड़ों की संख्या में पेड़ पौधे लगाए गए।  हाथियों के नहाने और अठखेलियां करने के लिए तालाब भी तैयार किए गए। 

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पूर्व वन अधिकारी बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि हाथियों के लिए सरकार की ओर से हाथी गांव बनाया गया था। जयपुर में करीब 86 हाथी है और 65 हाथियों के थान बने हुए हैं।  अन्य हाथी आसपास में निवास कर रहे हैं।  आमेर किले पर काफी समय से हाथियों की सवारी करवाई जा रही है।  सबसे बड़ी विडंबना यह है कि सरकार और विभाग में हाथियों का प्रजनन करके इनका कुनबा बढ़ाने के बारे में नहीं सोचा है। हाथी गांव में ज्यादातर हथनिया है, केवल एक ही नर हाथी है।  हाथियों को प्राकृतिक आवास तो दे दिया, लेकिन हाथियों को जीवनसाथी नहीं मिल रहा है।  ये हाथियों के साथ अन्याय है।  इसकी वजह से हाथियों की संख्या भी नहीं बढ़ रही है. हाथियों के प्रजनन और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को प्रयास करने चाहिए।  86 मादा हाथियों के लिए कम से कम पांच नर हाथी तो होने चाहिए, ताकि हाथियों का प्रजनन हो सके। 

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प्रजनन की क्रिया नहीं होगी तो धीरे-धीरे हाथी विलुप्त होते जाएंगे।  ऐसे में यदि इस तरह चलता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब हाथी नाम की कोई चीज नहीं बचेगी।  कुछ हाथियों में टीबी और अन्य बीमारियां भी देखने को मिली थी।  ऐसे में हाथियों को प्राकृतिक वातावरण मिलना जरूरी है।  मनुष्य हो या फिर जानवर सबका जोड़ा बनाया गया है।  हाथियों में भी जोड़ा बनाना जरूरी है।  कई बार देखने को मिलता है कि हाथी बहक जाते है।  यह नेचुरल है, क्योंकि इंसान हो या जानवर हो उनमें बच्चा पैदा करने की अपनी कैपेसिटी होती है। हथनियो को हाथी का साथ नहीं मिलता है, तो उन पर भी इसका साइकलॉजिकल इफेक्ट पड़ता है व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिलता है, वो हिंसक हो जाती हैं और इसका परिणाम कई बार पर्यटकों को भी भुगतना पड़ जाता है।  कई बार ऐसा होता है कि हाथी पर्यटकों को पटक देते हैं।  इन सबके बीच जरूरी है कि हाथियों का प्रकृतिक जोड़ा जरूरी होना चाहिए।  हाथी गांव में भी हथनियों के लिए नर हाथी होने चाहिए।  बाहर से आने वाली हाथियों का रजिस्ट्रेशन सरकार ने बंद कर रखा है. सरकार के स्तर पर नर हाथी लाने के प्रयास करने चाहिए। 

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हाथियों के लिए हाथी गांव में तालाब बना हुआ है, जिसमें पानी भी भरा है।  नर हाथी थोड़ा एग्रेसिव होता है।  जिसकी वजह से हथनियों को ही ज्यादा लाया जाता है।  लेकिन यह भी सोचना जरूरी है कि नर हाथी नहीं होगा तो हाथियों की संख्या नहीं बढ़ पाएगी।  पुराने समय में जयपुर में हाथियों का प्रजनन होता था।  लेकिन 20 से 25 साल में कहीं पर भी जयपुर में हाथियों का प्रजनन नहीं हुआ है।