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JANTAR MANTAR: पिंक सिटी में है दुनिया की सबसे बड़ी खगोलीय वेधशाला।

जंतर मंतर राजस्थान का एक ऐतिहासिक स्मारक है जो समय माप और ग्रहण भविष्यवाणी करने सक्षम, जाने जयपुर के जंतर मंतर का पूरा इतिहास 

 
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 जंतर मंतर राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है। यह 1724 और 1734 के बीच बनी एक खगोलीय वेधशाला है जिसको यूनेस्को ने 'विश्व विरासत सूची' में भी शामिल किया है। इसमें 14 मुख्य उपकरण हैं जो समय माप, ग्रहण भविष्यवाणी, गति और सितारों की स्थिति, सूर्य मंडल के ग्रहों आदि की स्थिति देखने में मदद करता  हैं। उनमें से दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर की धूपघड़ी या सूर्य घड़ी है, जिसका नाम वृद्ध सम्राट यंत्र है।

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इस खगोलीय यंत्र कि संरचना करीब 27 मीटर ऊंची है।

जाने इस ऐतिहासिक स्मारक का इतिहास –  

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सिटी पैलेस के पास स्थित, जंतर मंतर का निर्माण जयपुर के संस्थापक और एक खगोलशास्त्री महाराजा सवाई जय सिंह ने अंतरिक्ष और समय के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से किया था। इसकी स्थापना से पहले, सवाई जय सिंह ने दुनिया के विभिन्न देशों से खगोल विज्ञान पर प्रमुख और महत्वपूर्ण ग्रंथों की पांडुलिपियों को एकत्र किया और उनका अध्ययन किया। जिसके बाद उस समय के प्रसिद्ध और प्रसिद्ध खगोलविधिओ की मदद से महाराजा ने जयपुर के अलावा दिल्ली, बनारस, उज्जैन और मथुरा में हिंदू खगोल विज्ञान पर आधारित 5 वेधशालाओं का निर्माण किया। 

यह स्थापत्य खगोलीय उपकरणों का एक अद्भुत संग्रह है, जो अभी भी गणना और शिक्षण के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, इस खगोलीय वेधशाला का उपयोग सूर्य के चारों ओर ग्रहों की कक्षाओं के अवलोकन और अध्ययन के लिए भी किया जाता है। वेधशाला लगभग 18,700 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। इसके निर्माण में बहुत अच्छी गुणवत्ता वाले संगमरमर के पत्थरों का प्रयोग किया गया है। यह अपने शानदार डिजाइन के लिए भी मशहूर है। यहां रखा गया राम यंत्र आकाशीय ऊंचाई मापने का मुख्य उपकरण है, जबकि सम्राट यंत्र स्थानीय समय को 2 सेकंड की सटीकता के साथ माप सकता है।

जंतर मंतर में कुल 14 यन्त्रों के नाम इस प्रकार है – 
राम यन्त्र
उन्नातांश यंत्र
दिशा यन्त्र
नाड़ीविलय यंत्र
सम्राट यन्त्र
जय प्रकाश यन्त्र (क)
लघुसम्राट यंत्र
पाषांश यंत्र
शशि वलय यंत्र
चक्र यंत्र
दिगंश यंत्र
ध्रुवदर्शक पट्टिका
दळिणोदक यंत्र
जयप्रकाश यंत्र