Rajasthan Politics News : पायलट ने गहलोत का नाम लिए बिना फिर साधा निशाना, कहा— कुछ लोग विफल होने के बावजूद भी पदों से चिपके
जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान में इस साल विधानसभा के चुनाव होने वाले है। ऐसे में सीएम गहलोत और पायलट के बीच बढ़ती गुटबाजी कांग्रेस के लिए घातक साबित हो सकती है। राजस्थान कांग्रेस में कलह कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है। पूर्व डिप्टी सीएम और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट लगातार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साध रहे हैं। हालांकि वे सीधा सीएम का नाम नहीं ले रहे हैं। हाल ही टोंक जिले के दौरे पर रहे सचिन पायलट ने सीएम गहलोत का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोग पार्टी में पदों से चिपके हुए हैं।
टोंक में प्रेम और जोश से सराबोर इस स्वागत-सत्कार के लिए दिल की गहराइयों से धन्यवाद🙏 pic.twitter.com/k5OybZCXEo
— Sachin Pilot (@SachinPilot) January 23, 2023
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा है कि जब कांग्रेस लोकसभा चुनाव हार गयी तो राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन कुछ लोग बैक टू बैक विफल होने के बावजूद पदों से चिपके रहते हैं। इससे पहले झुंझूनू में भी उन्होंने अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर कटघरे में खड़ा किया था।
टोंक में नवनिर्मित 50 बेड के “वीरा” अस्पताल का लोकार्पण किया। सभी को बधाई और शुभकामनाएँ। pic.twitter.com/ppMItrkp7w
— Sachin Pilot (@SachinPilot) January 23, 2023
बता दें कि टोंक पायलट का विधानसभा क्षेत्र है और वे लगातार अलग अलग जिलों का दौरा कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहें है। राज्य में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होनें हैं। ऐसे में पार्टी की मुश्किलें इस वजह से बढ़ सकती हैं। सीएम गहलोत और पायलट के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं है। दोनों बड़े नेताओं के बीच सियासी घमासान काफी लंबे समय से जारी है। यह लड़ाई सीएम की कुर्सी को लेकर मानी जा रही है, क्योंकि पायलट के समर्थक उन्हें सीएम बनाने की मांग कर रहे हैं। कुछ समय पहले गहलोत ने पायलट को नकारा, निकम्मा और गद्दार तक कह दिया था।
राज्य में बीजेपी और कांग्रेस दोनों चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। ऐसे में कांग्रेस के दोनों बड़े नेताओं में खींचतान और बयानबाजी से पार्टी को नुकसान भी हो सकता है। कहा जा रहा है कि पायलट अलग थलग पड़ गए हैं, क्योंकि हाईकमान भी गहलोत को ज्यादा महत्व दे रहा है। पायलट आलाकमान की बैठकों में भी नहीं जा रहे हैं और न ही प्रदेश इकाई की किसी बैठक में शामिल हो रहे हैं। अब देखना है कि वे सरकार पर सवाल उठाना जारी रखते हैं या आगे अपना रूख बदलते हैं।