Rajasthan Breaking News: आरसीए चुनावों को राजस्थान हाई कोर्ट ने दिखाई हरी झंड़ी, सुनिल अरोड़ा को किया चुनाव अधिकारी नियुक्त
जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान की बड़ी खबर में आपको बता दे कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव कराने पर लगी रोक राजस्थान हाईकोर्ट ने हटा दी है। 4 जिला क्रिकेट एसोसिएशन और उनके सेक्रेट्री की रिट याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट जयपुर बेंच में जस्टिस इंद्रजीत सिंह की कोर्ट में आरसीए की ओर से एडवोकेट प्रतीक कासलीवाल और याचिकाकर्ताओं की ओर से एकवोकेट अभिनव शर्मा ने पैरवी की है। भारत के पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर सुनील अरोड़ा ही आरसीए के चुनाव कराएंगे। चुनाव का पूरा प्रोसेस नए सिरे से होगा। अब आरसीए जल्द ही बैठक बुलाकर चुनाव कार्यक्रम घोषित कर सकता है। माना जा रहा है कि दिसम्बर महीने में ही चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। नोटिस के लिए नियमानुसार 21 दिन का समय देना होता है।
बता दे कि 4 जिला क्रिकेट संघों और उनके सचिवों की याचिकाओं में कहा गया कि रामलुभाया को मुख्य चुनाव अधिकारी बनाए जाने से आरसीए के चुनाव निष्पक्ष नहीं हो पाएंगे। रामलुभाया जिला पुनर्गठन कमेटी के चेयरमैन हैं। जिस पर सीएम गहलोत का कंट्रोल है। खुद सीएम के बेटे वैभव गहलोत आरसीए चुनाव में अध्यक्ष पद प्रत्याशी हैं। इसलिए निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए रामलुभाया के अंडर में चुनाव नहीं होने चाहिए। राजस्थान हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने जब 29 सितंबर को आरसीए के 30 सितंबर को प्रस्तावित चुनाव पर अंतरिम रोक लगा दी थी, तो आरसीए की ओर से सुप्रीम कोर्ट तक केस गया। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक नहीं हटाते हुए केस को सुनवाई के लिए वापस हाईकोर्ट सिंगल बेंच के पास रेफर कर दिया था।
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हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वैभव गुट की ओर से राम लुभाया की जगह सुनील अरोड़ा को चुनाव अधिकारी नियुक्त करने की बात कही गई। कोर्ट को बताया गया नए चुनाव अधिकारी भारत के चीफ इलेक्शन कमिश्नर रह चुके हैं। वह सबसे सीनियर मोस्ट ऑफिसर रहे हैं,जिन्होंने देश में चुनाव करवाए हैं। इस पर कहीं भी आपत्ति नजर नहीं आई। कोर्ट ने कहा इस लाइट में हम रिट याचिका का डिस्पोजल कर रहे हैं। आरसीए चुनाव कराने के लिए अब स्वतंत्र है। अब आरसीए चुनाव की पूरी प्रक्रिया दोबारा नए सिरे से अपनाएगा। यही तय किया गया है। कुछ याचिकाएं बीच में चुनाव प्रक्रिया को भी चैलेंज करते हुए हुई थी। इसलिए तमाम विवादों को खत्म करने के लिए पूरी चुनाव प्रक्रिया फिर से होगी।