RAJMANDIR: प्रशिद्ध सिनेमाहॉल राजमंदिर जिसे "प्राइड ऑफ एशिया" की मिली उपाधि जाने उसके कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल के समय में सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल के बारे में सोचना भी अजीब लगता है। जयपुर में 1 जून 1976 को बना राजमंदिर सिनेमा हॉल आज भी ऐसी तमाम बातों का मजाक उड़ाता नजर आता है। एमआई रोड के पास स्थित राजमंदिर सिनेमा हॉल आज भी किसी भी मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल से ज्यादा दर्शकों को आकर्षित करता है।
शायद दर्शकों से ज्यादा पर्यटक राजमंदिर सिनेमा हॉल देखने आते हैं। सिनेमा हॉल को एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में पहचानना थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन राजमंदिर सिनेमा हॉल के पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध होने का सबसे बड़ा कारण इस सिनेमा हॉल की स्थापत्य शैली है और दूसरा मुख्य कारण इस सिनेमा हॉल में दर्शकों की बैठने की क्षमता है।
अनूठी वास्तुकला एवं संरचना
गुलाबी रंग से रंगे राजमंदिर सिनेमा हॉल की वास्तुकला अंदर और बाहर से इतनी खूबसूरत है कि इस सिनेमा हॉल को "प्राइड ऑफ एशिया" की उपाधि भी दी गई है। अंदर से देखने पर यह सिनेमा हॉल किसी महल से कम नहीं लगता है।
राजमंदिर सिनेमा हॉल के अंदर लगे बड़े-बड़े झूमर और पर्दे के पास मखमली पर्दा इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता है। ऐसा माना जाता है कि राजमंदिर सिनेमा हॉल एशिया का सबसे बड़ा सिनेमा हॉल है, इस सिनेमा हॉल में एक बार में 1300 दर्शक आ सकते हैं।
1966 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया ने राज मंदिर सिनेमा हॉल के निर्माण की नींव रखी थी और लगभग एक दशक के बाद 1 जून 1976 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी ने इस भव्य सिनेमा हॉल का उद्घाटन किया था। राज मंदिर सिनेमा हॉल को उस समय के प्रसिद्ध वास्तुकार श्री डब्ल्यू.एम. नामजोशी।