Lumpy virus in Rajasthan: राजस्थान के सभी 33 जिलों में फैला लंपी संक्रमण, पशुओं की मौत की संख्या में आई बड़ी गिरावट
जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान में लंपी वायरस का प्रकोप जारी है। प्रदेश में करीब 9 लाख से अधिक पशु लंपी वायरस की चपेट में आ चुके है और राजस्थान के सभी 33 जिलों में यह संक्रमण फैल चुका है। आपको बता दें कि तकरीबन एक महीने से प्रदेश में बेजुबान पशुओं पर कहर बनने वाले लम्पी स्किन डिजीज के संक्रमण से राहत मिलने लगी है। राजस्थान में सर्वाधिक संक्रमण वाले जिलों में लम्पी का संक्रमण तेजी से गिरने लगा है। लम्पी वायरस संक्रमण कम होने से पशुओं की मौत की संख्या में भी बड़ी गिरावट आई है।
पशुपालन विभाग की रिपोर्ट की मानें तो सबसे पहले जोधपुर संभाग के साथ बीकानेर और अजमेर संभाग में लम्पी वायरस संक्रमण ने दस्तक दी थी। तीनों संभागों के आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में एंट्री करते ही लम्पी वायरस पशुओं पर आपदा बनने लगा था। इन जिलों में प्रतिदिन करीब चार से पांच हजार पशुओं की लम्पी वायरस संक्रमण से मौत हो रही थी। लम्पी वायरस संक्रमण की दस्तक के वक्त पशुपालन विभाग को भी इस वायरस के उपचार की सही तकनीक नहीं पता थी। शुरूआती दौर में जैसलमेर, बाड़मेर, पाली, जोधपुर, नागौर, अजमेर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ सहित आस-पास के जिलों में संक्रमण के साथ-साथ पशुओं की मौत हो रही थी।
बीकानेर में अग्निपथ योजना को लेकर रैली, आज से 23 दिनों तक किया जायेंगा इसका आयोजन
लम्पी वायरस संक्रमण को रोकने में प्रदेश के पशुपालन विभाग ने मिशन मोड पर काम किया है। इसके लिए पशुपालकों में जागरूकता, पशुओं के टीकाकरण का मिशन, दवाइयों की उपलब्धता, आयुर्वेदिक और हौम्योपैथिक उपचार की जानकारी देने के सकारात्मक परिणाम आए, लेकिन लम्पी वायरस संक्रमण को रोकने में सबसे बड़ी भूमिका मौसम की मेहरबानी की मानी जा रही है। जानकार बताते हैं कि बारिश में कमी के बाद मौसम में गर्माहट आई है और उससे वायरस की चैन भी टूटी है।
पशुपालन विभाग का मानना है कि पहले जिन देशों और राज्यों में लम्पी वायरस संक्रमण का कहर था वहां अब इसके मामले नगण्य रह गए हैं। ऐसे में राजस्थान में संक्रमण दर में कमी और पशुओं की मृत्यु दर में गिरावट भी सकारात्मक संकेत दे रही है। प्रदेश में तीन से चार दिन में एक लाख से ज्यादा नए पशुओं में संक्रमण हो रहा था जो अब घटकर एक तिहाई से कम रह गया है। मौसम के साथ साथ पशुपालकों में जागरूकता, सरकार द्वारा पशुओं की इम्यूनिटी को मजबूत करने, टीकाकरण और बचाव के तरीकों को अपनाना भी इसका कारण है।