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jaipur कानून का उड़ा रहे मखौल, सड़क पर थड़ी-ठेलों का मकड़जाल, जनता बेहाल

 
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जयपुर न्यूज़ डेस्क, सरकार ठेले को वैध करने में विफल रही है। इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि सड़कों पर रेहड़ी-पटरी वालों की संख्या बेतरतीब ढंग से बढ़ रही है और पैदल चलने वालों व वाहन चालकों के लिए रास्ता सिमटता जा रहा है। सड़कों पर जाम की स्थिति से हमें निपटना है। साथ ही ठेला लगाने वालों को नगरीय निकायों की कार्रवाई का भी सामना करना पड़ता है। यह स्थिति तब है जब राज्य में स्ट्रीट वेंडर एक्ट लागू है। गंभीर बात यह है कि जयपुर, जोधपुर और कोटा जैसे शहरों के नगर निगमों में स्ट्रीट वेंडर कमेटी ही भंग है. इससे वेंडरों की समस्या अमरबेल की तरह बढ़ती जा रही है। यह स्थिति कुष्ठ रोग में खुजली जैसी होती है।राज्य में स्ट्रीट वेंडर एक्ट के तहत नियम व प्रावधान निर्धारित हैं। इस बीच 184 नगरीय निकायों में टाउन वेंडिंग कमेटियां भी बनीं, लेकिन मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के बाद कमेटियों की बैठक नहीं हुई. जबकि हर तीन माह में बैठक होना अनिवार्य है।

जयपुर में स्ट्रीट वेंडर्स को रोजगार के लिए जगह देने के लिए वेंडिंग जोन बनाए जाने थे, लेकिन सरकार ने नॉन वेंडिंग जोन बनाए। बताया जा रहा है कि सरकार ने कागजों में 181 वेंडिंग जोन बनाए हैं, लेकिन वे धरातल पर नहीं आ सके। यही वजह है कि शहर में फेरीवाले बेफिक्र होकर खड़े रहते हैं और शहर जाम में फंसा नजर आता है।सरकार ने स्ट्रीट वेंडर्स की समस्याओं के समाधान के लिए टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन किया है. एक समिति में 25 सदस्य और पदाधिकारी होते हैं। इसमें संबंधित निकाय का मुखिया अध्यक्ष होता है, इसके अलावा वेंडर्स के 10 सदस्य चुने जाते हैं। इनमें 7 पुरुष और 3 महिला वेंडर शामिल हैं। मोहल्ला विकास समिति, व्यापार मंडल के दो सदस्य, एनजीओ के दो पदाधिकारी भी इसमें सदस्य हैं.