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Greater Mayor Election 2022: जयपुर ग्रेटर मेयर पद का दंगल आज, कांग्रेस की हेमा सिंघानिया और बीजेपी की रश्मि सैनी के बीच होंगी कांटे की टक्कर

 
Greater Mayor Election 2022: जयपुर ग्रेटर मेयर पद का दंगल आज, कांग्रेस की हेमा सिंघानिया और बीजेपी की रश्मि सैनी के बीच होंगी कांटे की टक्कर

जयपुर न्यूज डेस्क। जयपुर ग्रेटर नगर निगम में मेयर पद के लिए आज गुरुवार को उपचुनाव होने जा रहा है। इस चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। बीजेपी ने जहां रश्मि सैनी को उम्मीदवार बनाया है, वहीं कांग्रेस हेमा सिंघानिया चुनाव लड़ेंगी। बता दें कि इससे पहले सौम्या गुर्जर मेयर पद के लिए अयोग्य पाई गई थीं, जिसके बाद इस सीट के लिए दोबारा चुनाव कराने का फैसला लिया गया है। सौम्या गुर्जर को सितंबर में जयपुर के मेयर पद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। वहीं हाईकोर्ट में आज सौम्या गुर्जर की लगाई गई यााचिका पर भी फैसला होंगा।

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राज्य चुनाव आयोग के अनुसार गुरुवार सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक मेयर के उपचुनाव के लिए मतदान होगा, जिसके बाद मतगणना शुरू होगी और परिणाम घोषित किए जाएंगे। उपचुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधि मतदान करेंगे। भाजपा प्रत्याशी रश्मि सैनी- नगर निगम ग्रेटर में लाइट समित 'ए' की चेयरमैन हैं। विद्याधर नगर विधानसभा क्षेत्र में वार्ड संख्या-12 से पार्षद हैं। रश्मि के पति राजेन्द्र सैनी 2003 से भाजपा से जुडे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी हेमा सिंघानिया- वार्ड 74 से कांग्रेस से पार्षद हैं और पहली बार कांग्रेस से पार्षद बनी हैं। हेमा सिंघानिया के पति सुनील सिंघानिया यूथ कांग्रेस में शहर अध्यक्ष हैं। 

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नगर निगम ग्रेटर मेयर का चुनाव दोनों ही पार्टियों के दिग्गजों की प्रतिष्ठा का सवाल भी बन गया है। अंतिम समय तक कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज अलग अलग जगह हो रहीं बाडाबंदी में पहुंचकर जीत का मंत्र देते हुए नजर आ रहे हैं। सबसे ज्यादा भाजपा के तीन विधायक और दो विधायक प्रत्याशियों के साथ संगठन की प्रतिष्ठा सांख पर हैं। भाजपा विधायक और विधायक प्रत्याशियों के क्षेत्र का कोई भी पार्षद क्रॉस वोटिंग करता है तो उनकी प्रतिष्ठा के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि साल 2019 में जब चुनाव महापौर का उपचुनाव हुआ था, तब पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग करके अपनी ही पार्टी के मेयर उम्मीदवार को हरवाया था। उस समय भी पार्षद पूरे समय बाड़ेबंदी में ही थे, लेकिन विधायकों के कर्न्वसेंशन में कमी के चलते ये घटनाक्रम हुआ था।