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राजस्थान से 9 बाघ अन्य राज्यों में होंगे शिफ्ट, बढ़ती आबादी से अंत: प्रजनन का खतरा बढ़ा

राजस्थान से 9 बाघ अन्य राज्यों में होंगे शिफ्ट, बढ़ती आबादी से अंत: प्रजनन का खतरा बढ़ा
 
राजस्थान से 9 बाघ अन्य राज्यों में होंगे शिफ्ट, बढ़ती आबादी से अंत: प्रजनन का खतरा बढ़ा

राजस्थान में बाघ परिवार में नए मेहमानों के आने का सिलसिला पिछले तीन दिनों से जारी है। नाहरगढ़ जैविक उद्यान, सरिस्का और रणथंभौर में तीन बाघिनों ने 10 से अधिक शावकों को जन्म दिया है। वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह बेहद खुशी का पल है, लेकिन साथ ही एक बड़ी चिंता यह भी है कि राजस्थान में ज्यादातर बाघों का खून एक जैसा ही है। राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केन्द्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में बाघों में अंतःप्रजनन की दर वर्तमान में किसी भी अन्य राज्य की तुलना में सबसे अधिक है। इसका कारण यह है कि राजस्थान के बाघ अभयारण्यों में कुल 121 बाघ हैं, जिनमें से 75 प्रतिशत रणथंभौर टाइगर रिजर्व से हैं, जो एक ही वंश से आते हैं।

आरटीआर के पूर्व क्षेत्र निदेशक मनोज पाराशर का कहना है कि राजस्थान के सभी बाघ अभयारण्यों में बाघों के बीच अंतर प्रजनन हो रहा है क्योंकि आरटीआर से बाघों को सरिस्का और मुकुंदरा बाघ अभयारण्यों में स्थानांतरित किया गया है। इसलिए, यह बहुत ही असंभव है कि कोई बाहरी बाघ उनके संपर्क में आया होगा।

उन्होंने कहा कि यदि अन्य राज्यों से अन्य नस्लों के बाघ यहां नहीं लाए गए तो आगामी 20 से 30 वर्षों में अंतःप्रजनन के कारण बाघों में बीमारियां और प्रजनन संबंधी समस्याएं बढ़ने की प्रबल संभावना है। इसलिए, एक नया जीन पूल बनाने की तत्काल आवश्यकता है।

वन विभाग ने इन राज्यों से मदद मांगी।

राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा ने इस संबंध में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर राजस्थान व अन्य राज्यों से बाघों को एक-दूसरे को सौंपने की मांग की है। उन्होंने कहा कि एनटीएसीए ने 2023 में 2 बाघिनों को स्थानांतरित करने की अनुमति भी दी थी लेकिन अभी तक मामला लंबित है। मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजस्थान ने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से एक नर बाघ और दो बाघिनों को राजस्थान में स्थानांतरित करने की मांग की है। इसके लिए इन राज्यों को पत्र लिखा गया है।