“शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती” 73 वर्षीय हनुमान सिंह इंदा ने पीएचडी की उपाधि हासिल कर रचा इतिहास
उम्र चाहे जितनी भी हो, सीखने और आगे बढ़ने की चाहत अगर दिल में हो, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं होता। इस कहावत को साकार किया है जोधपुर के 73 वर्षीय हनुमान सिंह इंदा ने, जिन्होंने इस उम्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर समाज के सामने एक प्रेरणादायक मिसाल पेश की है। उनका यह जज़्बा बताता है कि “शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती।”
जीवनभर रही पढ़ाई की लगन
हनुमान सिंह इंदा एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं। उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान भी पढ़ाई से जुड़ाव बनाए रखा और सेवानिवृत्ति के बाद भी अपनी शैक्षणिक यात्रा को नहीं रोका। उन्होंने पहले स्नातकोत्तर की डिग्री ली और फिर शिक्षा के क्षेत्र में शोध करने का निश्चय किया। उम्र के इस पड़ाव में जहां लोग जीवन को आराम से बिताने की सोचते हैं, वहीं हनुमान सिंह ने शोध जैसे कठिन क्षेत्र में कदम रखकर साबित किया कि यदि संकल्प हो तो कोई भी मंज़िल असंभव नहीं।
शोध का विषय और योगदान
हनुमान सिंह इंदा का शोध सामाजिक विज्ञान से संबंधित एक समसामयिक विषय पर था। उन्होंने ग्रामीण समाज में शिक्षा के बदलाव और चुनौतियों को आधार बनाकर अपना शोध कार्य पूरा किया। उनका शोध न केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि नीति-निर्धारकों और शिक्षा से जुड़े संगठनों के लिए मार्गदर्शक भी बन सकता है।
विश्वविद्यालय और समारोह
हनुमान सिंह को यह डिग्री जोधपुर के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से प्राप्त हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षकों ने भी उनकी मेहनत और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि वे आज के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा हैं। डिग्री प्राप्ति समारोह में जब उन्होंने मंच पर जाकर पीएचडी की उपाधि ली, तो सभागार तालियों से गूंज उठा।
