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600 साल पुराना चमत्कारी मंदिर: जहां मृत्यु के बाद भक्त चूहा बनकर करते हैं पुनर्जन्म, जानिए मां करणी का ये अद्भुत रहस्य

600 साल पुराना चमत्कारी मंदिर: जहां मृत्यु के बाद भक्त चूहा बनकर करते हैं पुनर्जन्म, जानिए मां करणी का ये अद्भुत रहस्य
 
600 साल पुराना चमत्कारी मंदिर: जहां मृत्यु के बाद भक्त चूहा बनकर करते हैं पुनर्जन्म, जानिए मां करणी का ये अद्भुत रहस्य

राजस्थान में एक मंदिर है। इस मंदिर का नाम करणी माता मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं, उन्हीं में से एक कहानी हम आपको बता रहे हैं। करणी माता मंदिर में लगभग 25,000 चूहे हैं। ये चूहे प्रसाद चखते हैं और यही प्रसाद लोगों में बाँटा जाता है। इस मंदिर की इतनी मान्यता है कि न केवल भारत से, बल्कि विदेशों से भी लोग दर्शन करने आते हैं। अब बात करते हैं कि इस मंदिर का चूहों से क्या संबंध है।

करणी माता मंदिर के 25,000 चूहों की कहानी
जब लोकल18 ने मंदिर के व्यवस्थापक से बात की, तो उन्होंने बताया कि करणी माता का अपना एक परिवार है। इस परिवार के लोग वर्षों से जन्म लेते आ रहे हैं। 4 से 5 हज़ार लोग उनके परिवार के सदस्य हैं, जिन्हें देवावत कहा जाता है। अगर माता के परिवार का कोई सदस्य मर जाता है, तो वह चूहे के रूप में इस मंदिर में जन्म लेता है। इस मंदिर में मौजूद ये 25,000 चूहे उनके परिवार के सदस्य हैं। करणी माता का मंदिर रिघुबाई नामक एक राजघराने में बनवाया गया था। बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

जब करणी माता ने यमराज से युद्ध किया
ग्रजेंद्र सिंह बताते हैं कि यह मंदिर 600 साल पुराना है। करणी जी ने इस मंदिर में 100 साल तक तपस्या की थी। उस समय पश्चिमी राजस्थान में अराजकता का माहौल था। इसके बाद माता ने बीकानेर और जोधपुर को बसाया। राजाओं की सहायता की। विवाह के बाद करणी माता ने अपने पति को दुर्गा का रूप दिखाया। फिर उनके पति का विवाह करणी माता की छोटी बहन से हुआ। उनके 4 पुत्र हुए। एक बार करणी माता की बहन का सबसे छोटा पुत्र लाखन ऊँट पर बैठकर मेला देखने आया। यहाँ वह पानी के अंदर कूद जाता है और मर जाता है। जैसे ही परिवार को यह खबर मिलती है, वे करणी माता से पुत्र को जन्म देने के लिए कहते हैं। तब माता पुत्र को अपने हाथों में लेकर गुफा को बंद कर देती हैं। इसके बाद उन्होंने यमराज और धर्मराज से अपने पुत्र को लौटाने के लिए कहा। लेकिन यमराज ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो पृथ्वी कैसे चलेगी। इसके बाद करणी माता ने चूहे का रूप चुना। इसके बाद, परिवार का हर सदस्य मृत्यु के बाद मंदिर में चूहे के रूप में जन्म लेता है।

चूहों वाला मंदिर क्यों खास है?

करणी माता मंदिर में मौजूद चूहों को काबा कहा जाता है। मंदिर में हर चूहे का एक अलग स्थान है। चूहे न तो अंदर से बाहर जाते हैं और न ही बाहर से अंदर आते हैं। लोग चूहों के बचे हुए प्रसाद को अमृत मानकर खाते हैं। माता के मंदिर का मुख्य द्वार चाँदी का बना है। चूहों का प्रसाद भी चाँदी की एक भारी थाली में रखा जाता है। मंदिर परिवार के भक्त पैर घसीटते हुए चलते हैं, ताकि चूहों को चोट न लगे। अगर कोई चूहा पैरों के नीचे आ जाए तो इसे अशुभ माना जाता है।

करणी माता मंदिर का प्रसाद अलग है

हर मंदिर में प्रसाद मिलता है। लेकिन करणी माता के मंदिर में मिलने वाला प्रसाद अलग है। यहाँ चूहे थाली में रखे प्रसाद को चखते हैं। इसके बाद इसे लोगों में बाँटा जाता है। लोग इसे खाते भी हैं। मंदिर के पुजारी का कहना है कि आज तक कोई भी भक्त प्रसाद खाने से बीमार नहीं पड़ा है। न ही चूहों से बदबू आती है।

क्या सफ़ेद चूहे देखना शुभ होता है?

इस मंदिर में ज़्यादातर चूहे धूल भरे रंग के होते हैं। कुछ चूहे सफ़ेद रंग के भी होते हैं, जिन्हें देखना शुभ होता है। स्वर्ग और नर्क मंदिर के अंदर हैं। कर्मों के अनुसार व्यक्ति को मंदिर में स्थान मिलता है। जो लोग अच्छे कर्म करते हैं, वे मृत्यु के बाद सफ़ेद काबा के रूप में मंदिर में जन्म लेते हैं।

लोग चाँदी के चूहे क्यों दान करते हैं?

आपने सही पढ़ा। करणी माता मंदिर में लोग चाँदी के चूहे दान करते हैं। ऐसा तब किया जाता है जब चूहे की गलती से मृत्यु हो जाती है। लोग इसे अपशकुन मानते हैं और अपनी गलतियों को सुधारने के लिए चाँदी के चूहे दान करते हैं।

करणी माता मंदिर कैसे जा सकते हैं?

बीकानेर से करणी माता मंदिर पहुँचने में आपको लगभग 40 मिनट लगेंगे। आप बीकानेर से टैक्सी या बस लेकर यहाँ पहुँच सकते हैं। किसी भी अन्य राज्य से बीकानेर जाने के लिए ट्रेन या बस का विकल्प चुना जा सकता है। दिल्ली के कश्मीरी गेट से बीकानेर के लिए सीधी बस उपलब्ध है। कार से जाने के लिए आप गूगल मैप की मदद ले सकते हैं।

मंदिर में दर्शन का समय क्या है?
मंदिर सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है। आप मंदिर के अंदर फ़ोन नहीं ले जा सकते। अगर आप वीडियो बनाना चाहते हैं, तो आपको टिकट खरीदना होगा। इसके बाद ही आप मंदिर के अंदर फ़ोन ले जा पाएँगे।