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बजरी माफिया से मिलीभगत के आरोप में 11 लोग लाइन हाजिर, वीडियो में देखें 2 कांस्टेबल भी सस्पेंड

बजरी माफिया से मिलीभगत के आरोप में 11 लोग लाइन हाजिर, वीडियो में देखें 2 कांस्टेबल भी सस्पेंड
 
बजरी माफिया से मिलीभगत के आरोप में 11 लोग लाइन हाजिर, वीडियो में देखें 2 कांस्टेबल भी सस्पेंड

जोधपुर ग्रामीण पुलिस के डिस्ट्रीक्ट स्पेशल टीम (डीएसटी) में लंबे समय से तैनात कुछ पुलिसकर्मियों की कारगुजारियां उजागर होने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। ये पुलिसकर्मी ऊपरी तौर पर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा कर रहे थे, लेकिन हकीकत में वे बजरी माफिया और तस्करों से मिलीभगत कर रहे थे। जब इस मामले का खुलासा हुआ, तो ग्रामीण पुलिस अधीक्षक ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 11 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया।

ऐसे सामने आया मामला

सूत्रों के मुताबिक, पुलिस विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि डीएसटी टीम कुछ चुनिंदा मामलों में ही कार्रवाई कर रही है और बड़े अपराधियों को बचाने का काम कर रही है। इस बीच, गुप्तचर एजेंसियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को इस संबंध में पुख्ता सबूत मिले, जिसके आधार पर मामले की जांच की गई। जांच के दौरान यह सामने आया कि ये पुलिसकर्मी बजरी माफिया से सांठगांठ कर अवैध खनन को बढ़ावा दे रहे थे।

दिखावे के लिए करते थे कार्रवाई

आरोप है कि ये पुलिसकर्मी छोटी-मोटी कार्रवाई कर अपनी छवि साफ दिखाने की कोशिश कर रहे थे, जबकि असल में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध खनन और तस्करी को नजरअंदाज कर रहे थे। जब यह मामला उजागर हुआ, तो ग्रामीण पुलिस अधीक्षक ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित 11 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया और विभागीय जांच के आदेश दे दिए।

बजरी माफिया की पहुंच और पुलिस की भूमिका

राजस्थान में बजरी माफिया का दबदबा लंबे समय से बना हुआ है। अवैध खनन के जरिए करोड़ों का काला कारोबार चलता है, जिसमें कुछ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी संलिप्त पाए जाते हैं। जोधपुर के ग्रामीण इलाकों में भी लंबे समय से अवैध खनन की शिकायतें मिल रही थीं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा था।

अब आगे क्या?

पुलिस विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में आगे और जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल 11 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है, लेकिन आगे उन पर विभागीय जांच के बाद निलंबन या अन्य सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

इस मामले से पुलिस की छवि को गहरी चोट पहुंची है, और अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या प्रशासन इसे गंभीरता से लेते हुए दोषियों को सजा देगा या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।