ज्वेलर की पत्नी ने बचाई 3 जिंदगियां, वीडियो में देखें हार्ट-किडनी और लिवर दान किए

राजस्थान के बाड़मेर जिले से एक दिल को छू लेने वाली खबर सामने आई है। यहां एक ब्रेन डेड महिला ने अपनी मृत्यु के बाद भी तीन लोगों को नई जिंदगी दी है। यह घटना न सिर्फ अंगदान के प्रति जागरूकता का संदेश देती है, बल्कि मानवता की एक अनूठी मिसाल भी पेश करती है।
दरअसल, बाड़मेर की रहने वाली एक महिला को ब्रेन हेमरेज होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत नाजुक होते ही डॉक्टरों की टीम ने तुरंत इलाज शुरू किया और महिला को बचाने के लिए चार बड़े ऑपरेशन किए गए। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद महिला की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने महिला को ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
इस कठिन घड़ी में भी महिला के परिजनों ने इंसानियत की मिसाल पेश की। उन्होंने भारी मन से महिला के अंगदान का फैसला लिया। परिजनों की इस सहमति के बाद महिला के महत्वपूर्ण अंगों को सुरक्षित निकालकर जरूरतमंद मरीजों को दान किया गया। बताया जा रहा है कि महिला के दो किडनी और एक लीवर को सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया। इन अंगों के जरिए तीन गंभीर रूप से बीमार मरीजों को नया जीवन मिल सका।
अंगदान प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मेडिकल टीम ने समय रहते सभी जरूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कीं। किडनी और लीवर को बाड़मेर से जयपुर व जोधपुर के बड़े अस्पतालों में भेजा गया। हरी झंडी दिखाते हुए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जिससे अंगों को जल्द से जल्द ट्रांसप्लांट सेंटर तक पहुंचाया जा सके। डॉक्टरों के मुताबिक, अंग प्राप्त करने वाले मरीजों की तबीयत में अब तेजी से सुधार हो रहा है और वे जल्द सामान्य जीवन जी सकेंगे।
परिजनों का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी को खोने का गहरा दुख है, लेकिन इस बात की संतुष्टि है कि उसकी वजह से तीन परिवारों में खुशियां लौट आई हैं। महिला के पति ने कहा, "हमारी बेटी तो अब हमारे बीच नहीं रही, लेकिन उसके अंग अब किसी और के शरीर में जीवित रहेंगे। इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है?"
अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन ने महिला के परिजनों को उनके साहसिक निर्णय के लिए सम्मानित करने की घोषणा भी की है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में अंगदान को लेकर जागरूकता बढ़ाने में सहायक होंगी।
गौरतलब है कि भारत में हर साल हजारों लोग अंग प्रत्यारोपण के अभाव में अपनी जान गंवा देते हैं। ऐसे में बाड़मेर की इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि एक जागरूक निर्णय कई जिंदगियों को बचा सकता है। प्रशासन और डॉक्टरों ने भी लोगों से अपील की है कि वे अंगदान के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं और जरूरतमंद मरीजों को जीवनदान देने में अपनी भूमिका निभाएं।