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कौन थे बाबा रामदेव जी? एक सिंगल वीडियो में जानिए जन्म, विवाह, चमत्कार और रामदेवरा समाधि तक की पूरी कहानी

कौन थे बाबा रामदेव जी? एक सिंगल वीडियो में जानिए जन्म, विवाह, चमत्कार और रामदेवरा समाधि तक की पूरी कहानी
 
कौन थे बाबा रामदेव जी? एक सिंगल वीडियो में जानिए जन्म, विवाह, चमत्कार और रामदेवरा समाधि तक की पूरी कहानी

राजस्थान की पावन धरती पर ऐसे कई लोकदेवता हुए हैं जिन्होंने अपने जीवन से समाज को दिशा दी और लोगों की आस्था का केंद्र बने। इन्हीं में से एक हैं बाबा रामदेव जी, जिन्हें 'रामसा पीर', 'रामदेव बाबा' और 'लोक देवता' के रूप में पूजा जाता है। बाबा रामदेव न केवल हिंदू भक्तों में पूज्य हैं, बल्कि मुस्लिम समाज भी उन्हें गहरी श्रद्धा से याद करता है। आइए जानते हैं बाबा रामदेव जी के जन्म से लेकर विवाह, चमत्कार और समाधि तक की पूरी ऐतिहासिक और धार्मिक यात्रा।


बाबा रामदेव जी का जन्म और वंश
बाबा रामदेव जी का जन्म 1352 ईस्वी (संवत 1409) में राजस्थान के बाड़मेर ज़िले के पोकरण तहसील स्थित रामदेवरा गांव (उस समय रुणिचा नाम से जाना जाता था) में हुआ था। वे अजमल जी तंवर और मैणादे देवी के पुत्र थे। रामदेव जी का जन्म क्षत्रिय राजघराने में हुआ था और वह तंवर वंश के राजकुमार थे। कहते हैं कि उनके माता-पिता ने लंबे समय तक संतान सुख की प्रार्थना की थी और उनके तप और भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान विष्णु ने रामदेव जी के रूप में अवतार लिया।

रामदेव जी का जन्म कई चमत्कारों के साथ हुआ था। माना जाता है कि जन्म के समय ही उनके शरीर से दिव्य आभा निकल रही थी और आसपास का वातावरण भक्तिमय हो गया था। कुछ मान्यताओं के अनुसार, वे विष्णु के कल्कि अवतार माने जाते हैं, जबकि अन्य परंपराएं उन्हें भगवान कृष्ण का अंशावतार मानती हैं।

बचपन और चमत्कार
रामदेव जी बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। वे अपने बचपन में ही साधुओं, संतों और जरूरतमंदों की सेवा करने लगे थे। उन्होंने धर्म, जाति, संप्रदाय से ऊपर उठकर मानवता को प्राथमिकता दी। उनका उद्देश्य समाज के हर वर्ग को समान दृष्टि से देखना और उनकी सेवा करना था।उनकी चमत्कारी शक्तियां बचपन में ही प्रकट होने लगी थीं। एक कथा प्रसिद्ध है कि एक बार गांव के कुएं में पानी नहीं था और लोग पानी के लिए तरस रहे थे। बाबा रामदेव ने अपनी दृष्टि मात्र से कुएं को जल से भर दिया। इस चमत्कार ने लोगों को चकित कर दिया और उनकी ख्याति चारों ओर फैल गई।

बाबा रामदेव जी का विवाह
बाबा रामदेव जी का विवाह डाली बाई से हुआ था, जो पाली जिले के सोनगरा चौहान वंश की राजकुमारी थीं। हालांकि उन्होंने एक गृहस्थ जीवन को अपनाया, लेकिन उनका मन सदैव भक्ति और जनसेवा में ही लगा रहा। वे राजा होने के बावजूद वैराग्य जीवन जीते रहे और महलों की जगह साधारण जीवन को अपनाया।शादी के बाद भी उन्होंने सांसारिक सुखों की अपेक्षा समाज सेवा और धर्म मार्ग को अधिक महत्व दिया। उनका विवाह एक सामाजिक कर्तव्य के रूप में पूर्ण हुआ, लेकिन उनका उद्देश्य जनकल्याण और भक्ति मार्ग पर चलते रहना था।

रामदेव जी का अवतारी स्वरूप और चमत्कार
रामदेव जी को विष्णु का अवतार माना गया है और उनके जीवन से जुड़ी अनेक चमत्कारी घटनाएं प्रचलित हैं। उन्होंने समाज में फैली छुआछूत, ऊंच-नीच और जात-पात की भावना को समाप्त करने के लिए कार्य किया। रामदेव जी ने विशेष रूप से मेघवाल, दलित, मुस्लिम और गरीब वर्गों को गले लगाया और उन्हें साथ लेकर समाज सेवा की। वे 'सांझा पीर' के रूप में प्रसिद्ध हुए – यानी वह संत जो सभी धर्मों को एक समान मानता है।उनके चमत्कारों की सूची में कई घटनाएं हैं जैसे – बिना भोजन के लोगों का पेट भरना, बीमारों को ठीक करना, पानी में चलना और गायब हो जाना। इन चमत्कारों ने उनकी ख्याति को चारों दिशाओं में फैला दिया।

समाधि और आज की आस्था
बाबा रामदेव जी ने 33 वर्ष की आयु में जीवित समाधि ली थी। यह घटना भादवा महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हुई थी। यही तिथि आज भी 'बाबा रामदेव मेला' के रूप में रामदेवरा (जैसलमेर) में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है, जहां लाखों श्रद्धालु हर साल उनकी समाधि स्थल पर दर्शन के लिए पहुंचते हैं।रामदेवरा स्थित उनका मंदिर, जिसे "रामदेव पीर मंदिर" कहा जाता है, हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोगों की आस्था का केंद्र है। मुस्लिम श्रद्धालु उन्हें ‘रामसा पीर’ के नाम से पूजते हैं और यहां चादर चढ़ाते हैं।

बाबा रामदेव जी का जीवन समानता, भाईचारे, सेवा और भक्ति का प्रतीक है। उन्होंने समाज को सिखाया कि ईश्वर हर जीव में बसता है और हर व्यक्ति की सेवा करना ही सच्चा धर्म है। उन्होंने न केवल धार्मिक एकता की मिसाल कायम की, बल्कि समाज सुधारक की भूमिका भी निभाई।बाबा रामदेव जी केवल एक लोकदेवता नहीं, बल्कि समाज में समरसता, सेवा और प्रेम के प्रतीक हैं। उनका जीवन हमें बताता है कि शक्ति, वैभव और सत्ता का सर्वोत्तम उपयोग जनसेवा और धार्मिक मर्यादा में होता है। आज भी उनकी teachings, उनका जीवन और उनकी कृपा करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई है। रामदेव जी की जीवनी हमें सिखाती है कि सच्चा राजा वही होता है जो अपने प्रजा के लिए जिए, और सच्चा भक्त वही होता है जो हर जीव में ईश्वर को देखे।