Hanumangarh Bhatner Fort की अनकही कहानियां, जानकारी और रहस्य
हनुमानगढ़ न्यूज़ डेस्क, भटनेर क़िला राजस्थान के हनुमानगढ़ में स्थित एक प्राचीन स्थल है। ये किला करीब 1700 साल पुराना माना जाता है, जिसका निर्माण राजा भूपत ने कराया था। घघ्घर नदी पर बना यह किला भारत के सबसे पुराने किलों में से एक माना जाता है।
भटनेर क़िला का निर्माण ‘भूपत’ के पुत्र ‘अभय राव भाटी’ ने 295 ई. में करवाया था। भूपत जैसलमेर के राजा भाटी के बेटे थे। जिसके बाद इस किले पर तैमूर, पृथ्वीराज चौहान, अकबर, कुतुबुद्दीन ऐबक और राठौर राजाओं ने राज किया। तैमूर ने भी अपनी किताब ‘तुजुक ए तैमूरी’ में इस किले को भारत के सबसे ताकतवर किलों में से एक बताया है।
भगवान कृष्ण के वंशज यदुवंशी भाटी राजपूतों की वीरता और पराक्रम का साक्षी रहा यह दुर्ग बीकानेर से लगभग 144 मील उत्तर पूर्व में हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। मध्य एशिया से होने वाले आक्रमणों को रोकने के लिए प्रहरी के रूप में भूमिका निभाने वाले यह किला मजबूूत रुकावट की तरह थी।
मरुस्थल से घिरे इस किले का घेरा लगभग 52 बीघा भूमि पर फैला है। दुर्ग में अथाह जलराशि वाले कुँए है व किला विशाल बुर्जों द्वारा सुरक्षित है। किले का निर्माण लोहे के समान पक्की इंटों व चुने द्वारा किया गया है जो इसके स्थापत्य की प्रमुख विशेषता है।
सन 1805 में बीकानेर के राजा सूरत सिंह ने यह किला भाटियों से जीत लिया था। इसी विजय को आधार मान कर, जो कि मंगलवार को हुई थी, इसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया क्योंकि मंगल हनुमान जी का दिन माना जाता है। इसके ऊँचे दालान तथा दरबार तक घोडों के जाने के लिए संकड़े रास्ते बने हुए हैं।
इस किले हनुमान जी मंदिर भी हैं। महाराजा सूरतसिंह जी के पुत्र महाराजा दलपतसिंह जी के निधन के बाद उनकी छ: रानियाँ इसी दुर्ग में सती हो गई थी, जिनकी किले के प्रवेश द्वार पर एक राजा के साथ छ: स्त्रियों की आकृति बनी हुई है।
इस किले का निर्माण ईंटों और चूने के पत्थरों से हुआ है। किले में जगह-जगह कुल 52 कुंड भी हैं। जो बारिश के पानी का इस्तेमाल करने के लिए बने थे। इसके अलावा किले के अंदर शिव और हनुमान के कई मंदिर हैं। किले के अंदर शेर खां सूरी की कब्र भी है। जो सुल्तान गयासुद्दीन बलबन के भतीजे थे।
कैसे जाएँ – Bhatner Killa
आज़ादी के बाद से यह भाग श्रीगंगानगर जिले के अर्न्तगत आता था जिसे 12 जुलाई 1994 को अलग जिला बना दिया गया था। गागर नदी के किनारे बना ये किला अब हनुमानगढ़ फोर्ट के नाम से जाना जाता है। ये किला हनुमानगढ़ रेलवे स्टेशन से केवल 5 किलोमीटर दूर है। यहां से आसानी से इस किले तक पहु्ंचा जा सकता है।
