हनुमानगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल! सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों की संख्या डबल लेकिन बेड और संसाधन आधे

हनुमानगढ़ न्यूज़ डेस्क - हर सरकार आमजन को बेहतर उपचार मुहैया करवाने के लिए जनता से कई दावे और वादे करती है, वह भी समय पर। लेकिन जमीनी हकीकत दावों से कोसों दूर नजर आती है। मरीजों को उपचार और परामर्श के लिए कई घंटों तक लाइनों में लगना पड़ता है। बढ़ती भीड़ से मरीज ही नहीं, बल्कि चिकित्सक और स्टाफ भी परेशान है, क्योंकि भीड़ के अनुरूप संसाधन नहीं बढ़ पा रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल हनुमानगढ़ जिले के सबसे बड़े महात्मा गांधी राजकीय जिला अस्पताल का है। यहां उपचार के लिए आने वाले मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है, लेकिन आमजन को सुविधाओं के विस्तार का कई सालों से इंतजार है।
8 साल में नहीं बढ़ी बेड की संख्या
जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. शंकर लाल सोनी ने बताया कि वर्ष 2017 में राज्य सरकार ने जिला अस्पताल में बेड की संख्या 150 से बढ़ाकर 200 की थी। तब साल भर में ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या 4 लाख थी। लेकिन 8 साल बाद भी जिला अस्पताल में स्वीकृत बेड की संख्या 200 ही है, लेकिन मरीजों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। वर्ष 2024 में मरीजों की संख्या 7 लाख के करीब पहुंचने का अनुमान है। हालांकि जिला अस्पताल प्रशासन अपने स्तर पर मरीजों को लाभ पहुंचाने के लिए मुख्य परिसर में स्वीकृत 200 बेड के बदले 300 बेड का संचालन कर रहा है। वहीं मातृ एवं शिशु इकाई में स्वीकृत 50 बेड के बदले 130 बेड पर मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
बजट में की गई घोषणा के पूरा होने का इंतजार
अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्थानीय अस्पताल प्रशासन अपने स्तर पर बेड बढ़ाता रहा, लेकिन डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के पद स्वीकृत बेड संख्या के अनुरूप होने के कारण मरीजों को दी जाने वाली सुविधा और उपचार प्रभावित हो रहा है। नर्सिंग कार्मिकों के नए पद सृजित नहीं होने से मरीजों को समय पर उपचार उपलब्ध कराने में काफी परेशानी हो रही है, क्योंकि स्वीकृत पदों की तुलना में कार्मिकों पर लगभग दोगुना कार्यभार है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकती। हालांकि राज्य सरकार ने इस वर्ष बजट घोषणा में जिला अस्पताल हनुमानगढ़ में बेड बढ़ाने की घोषणा की है। लेकिन कितने बेड और कितनी सुविधाएं व पद बढ़ाए जाएंगे, इसे लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
अस्पताल भवन हो चुका है जर्जर
जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. शंकर लाल सोनी का कहना है कि जिला अस्पताल भवन का अगला हिस्सा भी 45 वर्ष पुराना होने से परेशानी का सबब बना हुआ है। भवन के कई हिस्से को पीडब्ल्यूडी विभाग ने जर्जर घोषित कर रखा है, जिसकी कई बार मरम्मत कर उपयोग में लाया जा रहा है।