Hanumangarh यहां पराली जलाने से रोकने की सलाह, अब तक 17 मामले

हनुमानगढ़ न्यूज़ डेस्क, हनुमानगढ़ धान की पराली लोगों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। पराली जलाने की वजह से वातावरण में धुंआ फैल रहा है। इस महीने की शुरुआत में प्रदूषण मामले में हनुमानगढ़ जिला टॉप हो गया था। पराली जलाने की निरंतर घटना हो रही है। जिला प्रशासन की मानें तो इस बार अभी तक किसी किसान पर जुर्माना नहीं लगाया गया है। जिले में 35000 हैक्टैयर में धान की खेती हो रही है। जिले में 20-25 लाख क्विंटल पराली उत्पादन का अनुमान है। पराली जलाने पर 15000 रुपए पर्यावरण क्षति पूर्ति के रूप में जुर्माना लगाने का प्रावधान है। परंतु अभी तक हनुमानगढ़ क्षेत्र में जुर्माना नहीं लगाया है। एसडीएम दिव्या चौधरी ने बताया कि पराली जलाने की घटना की रोकथाम को लेकर तहसीलदारों को निर्देशित किया गया है। किसानों से निरंतर समझाइश करके इस पर नियंत्रण लगाने का प्रयास है। पराली जलाने की बजाय इसका पशु चारे के रूप में उपयोग करने की सलाह किसानों को दे रहे हैं।
बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर रोक के लिए पराली जलाने की घटनाओं पर पूर्ण अंकुश जरूरी है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। सिरसा में कहीं भी फसल के अवशेष जलाने की घटना ना हो, इसके लिए अधिकारी फील्ड में रहकर फसल कटाई एरिया में निगरानी रखे। कहीं पर फसल के अवशेष जलाने की सूचना मिलती है तो तुरंत संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाए। जिला उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने शुक्रवार को पराली जलाने की घटनाओं पर पूर्ण अंकुश को लेकर कृषि अधिकारियों व एसएचओ की बैठक में यह बात कही।
उपायुक्त ने कहा कि जिन भी अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी इस कार्य में लगाई गई है, वे फील्ड में रहकर काम करे। गांव स्तर पर कमेटी के साथ तालमेल बनाकर रखें। संबंधित एसएचओ को साथ लेकर पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जाए। साथ ही किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जाए तथा पराली प्रबंधन के कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जाए। उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने बताया कि जिले में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर अब तक 17 एफआईआर दर्ज की गई है। पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश जरूरी है। इसके लिए विशेषकर किसानों का सहयोग आवश्यक है।