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धरती मां की सेहत पर संकट! रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से बिगड़ रही मिट्टी की गुणवत्ता, 18250 नमूने भेजे गए परीक्षण के लिए

 
धरती मां की सेहत पर संकट! रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से बिगड़ रही मिट्टी की गुणवत्ता, 18250 नमूने भेजे गए परीक्षण के लिए

जिला अच्छी खेती के लिए प्रदेश में जाना जाता है। रबी सीजन में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए सबसे ज्यादा गेहूं की खरीद हनुमानगढ़ जिले से की जाती है। इस लिहाज से कृषि क्षेत्र में जिले का महत्व काफी बढ़ जाता है। लेकिन दूसरी ओर रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से धरती माता की सेहत भी खराब हो रही है। भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित होने से भविष्य में उत्पादन कम होने का भी खतरा मंडरा रहा है। किसानों के लिए प्राकृतिक व जैविक खेती फायदेमंद हो सकती है। इसके प्रति किसानों को अपनी सोच बदलनी होगी। रासायनिक खादों के लगातार उपयोग से उर्वरता प्रभावित हो रही है। मिट्टी व पानी के नमूनों की जांच में कृषि विभाग के पास जो आंकड़े आ रहे हैं, वे हालांकि पिछले सालों की तुलना में कुछ बेहतर हैं। लेकिन अब भी किसानों को अपेक्षा के अनुरूप जागरूक होने की जरूरत है। तभी धरती की उर्वरा शक्ति बरकरार रह सकेगी। हनुमानगढ़ जिले की बात करें तो यहां वर्ष 2024-25 में कुल 18250 मिट्टी के नमूने जांच के लिए कृषि विभाग की परीक्षण प्रयोगशाला में भेजे गए थे। इसमें अधिकांश नमूनों में जैविक कार्बन की मात्रा कम पाई गई है। चार प्रतिशत नमूने फेल हुए। इसमें पीएच मान 8.5 प्रतिशत से अधिक पाया गया। हालांकि पिछले वर्षों में फेल नमूनों का प्रतिशत आठ के करीब था। इस तरह पीएच मान के मामले में अब जिले में स्थिति सुधर रही है।

अंकुरण क्षमता पर असर
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मिट्टी में विद्युत चालकता 0.5 मिलीमाह प्रति सेमी होने पर मिट्टी की अंकुरण क्षमता तेज होती है। यह मात्रा कम या ज्यादा होने पर मिट्टी की अंकुरण क्षमता कम होने लगती है यानी खत्म होने लगती है। वर्तमान में हनुमानगढ़ की मिट्टी में विद्युत चालकता 1.0 से 5.0 मिलीमाह प्रति सेमी है। जो भविष्य में खतरनाक स्थिति का संकेत दे रही है। करीब एक-दो वर्षों से कुछ किसानों ने खेत तैयार करते समय फसल अवशेषों का उपयोग करना शुरू कर दिया है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में थोड़ा सुधार देखने को मिला है। श्रीगंगानगर स्थित राज्य उर्वरक परीक्षण प्रयोगशाला के उपनिदेशक जीएस तूर के अनुसार कुछ किसान अब समझदारी दिखा रहे हैं। इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। हम अपने स्तर पर किसानों को रासायनिक खादों का कम उपयोग करने की सलाह देते रहते हैं। अब किसान इसे समझने लगे हैं। खेती के लिहाज से यह अच्छा है।

मित्र कीटों के मरने से खतरा
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए प्रकृति ने कुछ मित्र कीटों को भी पैदा किया है। ये मिट्टी की सेहत का अच्छे से ख्याल रखते हैं। लेकिन जिले में धान की कटाई के बाद कुछ किसान खेतों में आग लगा देते हैं। इससे पराली के साथ-साथ धरती के नीचे रहने वाले मित्र कीट भी जल जाते हैं। इससे धरती की उर्वरता प्रभावित होती है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जब खेत प्राकृतिक रूप से खाली हो तो उसमें फसल अवशेष डालकर खेत तैयार कर लेना चाहिए। इसके बाद विभागीय सलाह के अनुसार बुवाई करनी चाहिए।