भारत में मिला "जान जान पाकिस्तान" लिखा गुब्बारा, संदिग्ध गुब्बारे की जांच में जुटी खुफिया एजेंसियां

हनुमानगढ़ न्यूज़ डेस्क - हनुमानगढ़ जिले के संगरिया क्षेत्र के गांव नाथवाना रोही में उस समय हड़कंप मच गया, जब गांव के एक खेत में पाकिस्तानी गुब्बारा मिलने की खबर मिली। उर्दू में कुछ लिखा होने के कारण गुब्बारा मिलने की खबर गांव में आग की तरह फैल गई, जिसकी सूचना ग्रामीणों ने संगरिया पुलिस को दी। सूचना मिलने पर संगरिया थाने के सहायक उपनिरीक्षक राजाराम स्वामी बल के साथ नाथवाना रोही के चक 3 एमएमके पहुंचे। जहां खेत में खड़ी फसल के ऊपर संदिग्ध पाकिस्तानी गुब्बारा पड़ा था। गुब्बारे पर लिखे शब्दों को पढ़कर बताया ग्रामीणों ने बताया कि गुब्बारे पर सफेद व हरे रंग का दिल बना हुआ था, जिसमें चांद-तारे जैसा निशान यानी पाकिस्तानी झंडा बना हुआ था। साथ ही उर्दू में कुछ लिखा हुआ था, जिसे किसी जानकार ने पढ़ा तो उसमें 'जान जान पाकिस्तान' लिखा हुआ था।
जब्ती के बाद जांच में जुटी पुलिस
संगरिया थाने के एएसआई राजाराम स्वामी ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना पर जब वे मौके पर पहुंचे तो किसान सुशील जाखड़ के खेत में एक संदिग्ध पाकिस्तानी गुब्बारा दिखाई दिया, जो खेत में खड़ी फसल के ऊपर फंसा हुआ था। संदिग्ध गुब्बारे पर सफेद और हरे रंग से कुछ छपा हुआ था। उर्दू में भी कुछ लिखा हुआ था, जिस पर उच्चाधिकारियों को संदिग्ध गुब्बारे की जानकारी देने के बाद मौके की वीडियोग्राफी कर जब्ती की कार्रवाई की गई। गुब्बारे को थाने के मालखाने में सुरक्षित रखवा दिया गया है। एएसआई राजाराम स्वामी ने बताया कि इस संदिग्ध गुब्बारे के मिलने के मामले की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि यह गुब्बारा पाकिस्तान से यहां कैसे पहुंचा।
गुब्बारे के आकार को लेकर अटकलें
इस क्षेत्र के लिए संदिग्ध गुब्बारे मिलना कोई नई बात नहीं है। लेकिन पहले मिले गुब्बारे और रविवार को मिले गुब्बारे में काफी अंतर है। पहले मिले गुब्बारे हवाई जहाज के आकार के थे, जिन पर पीआईए लिखा हुआ था, जिसे पाकिस्तानी इंटरनेशनल एयरलाइंस का प्रतीक माना जाता था और कई बार यह भी अटकलें लगाई गईं कि वे मौसम विभाग के हैं। लेकिन रविवार को मिला संदिग्ध गुब्बारा बच्चों द्वारा खेलने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सामान्य गुब्बारे के आकार और आकृति का ही था। इससे ग्रामीणों का अनुमान है कि इस संदिग्ध गुब्बारे के 70 से 80 किलोमीटर दूर स्थित अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से आने की संभावना बहुत कम है।