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Dungarpur ज्ञान गंगा महोत्सव के दूसरे दिन परिवार का महत्व समझाया गया

 
Dungarpur ज्ञान गंगा महोत्सव के दूसरे दिन परिवार का महत्व समझाया गया

डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क, डूंगरपुर ज्ञान गंगा महोत्सव में मौजूद श्रावक और श्राविकाएं। भास्कर संवाददाता । डूंगरपुर भारत गौरव एवं राष्ट्रीय संत आचार्य श्री पुलक सागर जी ने दूसरे दिन ज्ञान गंगा महोत्सव में कहा कि परिवार बिखर रहे है और कड़वे सम्बोधन के कारण संबंध टूट रहे है। जो लोग मंगल पर जीवन ढूंढ रहे है उन्हें अपने जीवन में मंगल करना आना चाहिए। आज भाई का भाई से, पति का पत्नी से और पिता का बेटे से छोटी बात पर संबंध विच्छेद हो रहा है इसका कारण केवल संबंधों की मधुरता में कमी का है। हमने बड़े बड़े मकान जरूर बना लिए पर घर को जोड़े रखने वाले संबंधों का ध्यान नहीं रखा इसलिए आज घर बिखर रहे है और मकान अपनी जगह ही खड़े है। आचार्य श्री ने कहा कि आज के ज़माने में संबंधों का बटवारा हो रहा है, सम्पति का बटवारा तो चलता आ रहा है।

लकीरें जब हाथों पर गिरती है तो किस्मत बदल जाती है, जब ये लकीरें देशों के बीच खींची जाती है तो सीमाएं बन जाती है वही ये लकीरें जब संबंधों के बिच खींची जाती है तो सबंध जीवन भर के लिए ख़राब हो जाते है इसलिए कोशिश करे कि संबंधों की बीच कभी लकीरें न खींची जाए। आचार्य श्री ने मकान और घर को लेकर सं‍बोधित करते हुए कहा कि मकानों की आयु लगभग 100 वर्ष की होती है क्योंकि मकान की मजबूती उसके चार पिलर होते है उसी प्रकार मकान में रहने वालो से उस मकान को घर कहा जाता है। घर केवल उसमे रहने वाले सदस्यों के प्रेमपूर्वक रहने से होता है। अगर घर में प्रेम समाप्त हो गया तो वह घर केवल मकान बनकर रह जाता है। इसलिए मकान में जितने भी लोग रहे अगर सभी मिलजुलकर रहेंगे तो उसके पिल्लरो को हजारों साल तक कोई नहीं गिरा पाएगा। घर को बनाने में सबसे अधिक योगदान नारियों का होता है, इतिहास गवाह है कि आज तक जो भी युद्ध और झगड़े हुए है वह या तो नारी के कारण हुए है या फिर जमीन के लिए। इसलिए घर की सास, बहु, बेटी, माँ और पत्नी को परिवार को मजबूत बनाने के लिए रिश्तों को बनाए रखने के प्रयास करते रहना चाहिए आचार्य श्री ने सं‍बोधित करते हुए कहा कि मुझसे किसी ने पूछा कि सात वार में सबसे अच्छा वार कौनसा होता है तो उन्होंने कहा कि सबसे अच्छा वार परिवार होता है।जिसका परिवार मजबूत होगा उसके सब वार अच्छे होंगे। आज परिवार बिखर रहे है, वैज्ञानिक मंगल पर जीवन ढूंढ रहे है पर जिसके परिवार में मंगल कोई नहीं ढूंढ रहा है। इसलिए परिवार में मंगल ढूंढे। दुआ करने वाले हाथों से दीवारें खड़ी हो रही है, लड़ लड़ कर जीवन के सभी रिश्ते तार तार हो रहे है। सहनशीलता समाप्त हो गई है। अगर परिवार में सब मंगल है तो दुनिया के सारे तीर्थ चलकर घरो पर आएंगे।